Animal 2023 Film Review : हम बन्दर से इन्सान बने मगर रणविजय बन्दर का बन्दर ही रह गया इसीलिए उसके बाप को उससे घंटा फरक नही पड़ता.

यह पृथ्वी कई समय पुरानी है. हम भी कई सालो विकास प्रक्रिया के बाद बन्दर से इंसान बने. हमने कई लड़ाइयाँ लड़ी. जंग हारे, जीते. शिकार किये. विकास की प्रक्रिया निरंतर चलती रही. हमारी सोच का विकास होता गया. सम्मान, सुझबुझ जैसे भाव और ज्यादा विकास होने लगे. कई सो सालो महिलाओं को दबाया गया. उनको पड़ताड़ित किया गया. हम समझदार हुए. क्या सही क्या गलत वो सोचने का विकास हुआ. इसलिए ये जो कई सालो की प्रकिया हुई जिसमे हम बन्दर से इन्सान बने. उसी की बदोलत हम आज इस मुकाम पर है.

मगर कुछ लोग आज भी बन्दर के बन्दर रह गये. जैसे संदीप रेड्डी वांगा. की फिल्म Animal का किरदार. जो आज भी अल्फा मेल की परिभाषा पुराने समय की परिभाषा को ही समझता है. जो महिला के माहवारी चक्र पर भद्दा संवाद बोलता है. जो मिशन के नाम पर दूसरी महिला से सम्बन्ध बनाता है. और खुद की पत्नी को खुद के मरने के बाद किसी और से शादी नही करने से मना करता है. इस हिसाब से यह अल्फा नही. मेंटली सिक किरदार है. और शायद संदीप रेड्डी वांगा साहब भी इस कहानी से यही दिखाना चाहते है की Dont Be like Ranvijay.

Wooooohhhhh !!!

यह तो थी मेरी भड़ास. जिसे मैं रोक नही पाया. क्योकि गले से नही उतरती कुछ बातें इस फिल्म की. मगर अब बात करते है इस फिल्म के बारे में. इसके क्राफ्ट के बारे. और संदीप रेड्डी वांगा साहब के जबरदस्त डायरेक्शन के बारे में.

Animal Film Review

संदीप रेड्डी वांगा का विज़न और सिनेमा

संदीप रेड्डी वांगा ने इस फिल्म को निर्देशित किया है साथ ही उन्होंने इसकी कहानी लिखी है और एडिटिंग भी उन्होंने ही की है. Animal फिल्म को देखकर लगता है की यह वांगा का पैशनेट प्रोजेक्ट है. फिल्म में कुछ तो बहुत ही गजब के दर्शय है. जिसमे से एक रणबीर कपूर का पहली बार बियर्ड लुक वाला सीन गजब के बैकग्राउंड म्यूजिक और निर्देशन से भयंकर बन पड़ा है. बहुत ही शानदार और Horrifying तरीके से शूट हुआ वो दर्शय बता देता है की फिल्म सही में एक एनिमल फिल्म है.

संदीप रेड्डी वांगा साहब के विज़न की बदोलत है की हमें एनिमल का मुख्य किरदार कभी अच्छा लगने लगता है तो कभी उससे घिन्न आने लगती है. एक बहुत जटिल किरदार को रणबीर कपूर ने बड़े ही धांसू तरीके से निभाया है.

यह बात जरुर है की Animal फिल्म में कुछ प्रोब्लेमाटिक दर्शय और संवाद है. मगर जिस तरह का यह किरदार है जिस तरह की कहानी है. शायद कोई और निर्देशक थोडा कोम्प्रोमाईज़ कर लेता मगर संदीप रेड्डी वांगा ने अपने विज़न अपनी कहानी पर भरोसा बनाये रखा. और बावजूद A सर्टिफिकेट फिल्म और बावजूद तीन घंटे से ज्यादा की फिल्म के होने पर भी उन्होंने अपने क्राफ्ट से कोम्प्रोमाईज़ नही किया. और यही खासियत एनिमल फिल्म को बॉलीवुड की बाकी फिल्मो से अलग बनाती है.

संदीप रेड्डी वांगा ने इसकी कहानी, निर्देशन और एडिटिंग खुद किया है तो एक एक करके जानते है उनके काम के इन तीनो पक्षों के बारे में.

कहानी में एनिमल या एनिमल कहानी में ?

यह सवाल इसलिए उठता है की एनिमल फिल्म की कहानी इसके मुख्य किरदार रनविजय के इर्द गिर्द अधिकतम समय घूमती है. जहाँ उसके बचपन से लेकर उसके प्रोढ़ होने तक उसका उसके पापा के लिए प्यार और उस प्यार के हद से ज्यादा बढ़ जाने की सनक को यह कहानी बताती है.

भारत के बड़े व्यापारी बलबीर सिंह का बेटा. जो अपने पापा का प्यार, सम्मान पाना चाहता है. जो अपनी बहनों की रक्षा के लिए स्कूल में बन्दूक तक ला सकता है. जो अपने दोस्त की बहन से प्यार करता है. जो गुड लूकिंग है, डैशिंग है, एक अल्फा मेल वाली उसकी पर्सनालिटी है. जो अपने पिता पर गोली चलाने वाले को मार गिराना चाहता है.

एनिमल फिल्म की कहानी और स्क्रीनप्ले संदीप रेड्डी वांगा ने ही लिखा है. कहानी सीधी सी है. यह बदले की कहानी दिखती है मगर यह एक किरदार की कहानी है.

एनिमल फिल्म का फर्स्ट हाफ बेहतरीन है. खूब एक्शन है, डायलॉग है, रणबीर कपूर की धांसू एक्टिंग है, कुछ बहुत धांसू दर्शय है. मगर जैसे ही फिल्म सेकंड हाफ की ओर बढती है. फिल्म की कहानी बहुत ज्यादा कमजोर पड़ने लगती है. फिल्म की कहानी एक जगह रुक जाती है.

तो देखा जाए तो कहानी में कुछ कमजोरिया है. जैसे रणबीर का अपने पिता से हद से ज्यादा लगाव मगर उनके बीच कोई बेहतरीन दर्शय की कमी खलती है. बलबीर सिंह का अपने बेटे के प्रति इस तरह का रवैया समझ नही आता है. साथ ही बलबीर सिंह के इस तरह के व्यवहार के पीछे कोई कारण नही दिखाया गया.

इसी कारण कहानी जहाँ जरुरी होनी थी वहां ना होकर सिर्फ एक किरदार को बनाने तक ही सिमित लगती है. क्योकि जिस तरह फिल्म में विलन को पहली बार दिखाया जाता है उससे यह लगता है की इस विलन की कहानी भी कुछ और ज्यादा दिखाई जा सकती थी. मगर यह सिर्फ एक किरदार की कहानी बनकर रह गयी.

सारांश में कहा जाए तो Animal फिल्म में मुख्य रूप से सिर्फ एक किरदार पर ही फोकस किया गया है. मगर बाकी किरदारों को भी और ज्यादा एक्स्प्लोर किया जाता तो कहानी और अच्छी हो सकती थी.

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संदीप रेड्डी वांगा की एडिटिंग

एडिटिंग की इसलिए बात की जा रही है क्योकि Animal फिल्म तीन घंटे से ज्यादा लम्बी है. जिसको कुछ कम किया जा सकता था. फिल्म में इंटरवेल के बाद जो धीमापन आता है. उसको कम करने के लिए फिल्म को करीब 20 मिनट तक कम किया जा सकता था.

मगर फिर भी बहुत सारी जगह एडिटिंग शानदार है. मुख्य रूप से इसके फर्स्ट हाफ में.

कहानी रणबीर के स्कूल के जीवन से लेकर उसके प्रोढ़ होने तक जाती है तो उसको बहुत सही तरीके से दिखाया गया है. इसलिए इसका फर्स्ट हाफ पकड़ बनाये रखता है.

संदीप रेड्डी वांगा की अच्छी एडिटिंग की बदोलत ही कुछ बेहतरीन Transition देखने को मिलते है जो कुछ दर्शय को बहुत ही गजब का बनाते है.

उनकी एडिटिंग फ्रेश लगती है. बस फिल्म के सेकंड हाफ की लम्बाई को थोडा कम किया जा सकता था. तो देखा जाए तो संदीप रेड्डी वांगा की एडिटिंग न बेहतर है न बुरी. एक अच्छे लेवल की एडिटिंग है.

निर्देशन

एक फिल्म निर्देशक का क्या काम होता है ?

फिल्म में एक्टर एक्टिंग करता है, एडिटर एडिटिंग करता है, सिनेमेटोग्राफर फिल्म के सीन्स शूट करता है, म्यूजिक डायरेक्टर फिल्म में म्यूजिक देता है मगर फिल्म डायरेक्टर क्या करता है ? जब सारे काम बाकी के लोग करते है तो डायरेक्टर क्या करता है ?

डायरेक्टर डिसिशन लेता है. फिल्म में एक्टर की एक्टिंग कैसी रहेगी इसका डिसिशन करता है. एडिटिंग केसी रहेगी कैसी रहेगी इसका निर्णय लेता है. म्यूजिक कैसा रखा जाएगा इसका निर्णय लेता है. फिल्म का मूल रूप कैसा रहेगा इसकी इमेजिनेशन करके पूरी टीम के साथ काम करके अपने विज़न को फिल्म के रूप में बदलता है. और निर्णय लेना और उसकी जिम्मेदारी लेना सबसे मुख्य काम एक फिल्म निर्देशक का होता है.

तो संदीप रेड्डी वांगा ने पूरी टीम के साथ मिलकर Animal जैसी एक वायलेंट फिल्म बनाई है. जिसमे एक्शन है, रोमांस है, कुछ सेक्स सीन्स है, कुछ कॉमेडी है, कुछ इमोशनल सीन्स है, कुछ प्रोब्लेमाटिक संवाद है और इन सबके मेल से बनी एनिमल फिल्म है. जो की एक साधारण सी कहानी के साथ भी फ्रेश लगती है. यह बॉलीवुड फिल्मो के लिए एक नयापन का काम करती है. इसका श्रेय संदीप रेड्डी वंगा को जाना चाहिए जिन्होंने अपने क्राफ्ट पर भरोसा कायम रखा और एक वायलेंट मगर बॉलीवुड न्यू ट्रेंड सेटर फिल्म बना कर दिखाई.

संदीप रेड्डी वांगा का यही विश्वास फिल्म में दिखता है. उनका आत्मविश्वास इस फिल्म के दर्शयो में दिखता है. जो की उनके निर्देशन की जीत को दर्शाता है.

रणबीर कपूर है सिनेमा के एनिमल

रणबीर कपूर की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है. शायद कोई और हीरो इस किरदार को इस तरह नही निभा सकता था जितना अच्छा रणबीर ने इसे निभाया है.

रणविजय एक अमीर परिवार का लड़का है. वो रणबीर के लुक से साफ़ झलकता है. रणबीर का औरा उनकी अमिरियत को दर्शाता है. उनका जवानी वाला लुक हो चाहे उनका बियर्ड लुक. वो परदे पर डैशिंग लगते है. आकर्षक लगते है.

एनिमल के फर्स्ट हाफ में कहानी बहुत तेज गति से दौड़ती है. मगर इंटरवेल के बाद थोड़ी स्लो जरुर होती है मगर रणबीर को अपनी धांसू एक्टिंग दिखाने का मौका भी वहीँ मिलता है. कई धांसू सीन्स को उन्होंने बड़े ही जबरदस्त तरीके से निभाया है.

एक्टिंग

काश बॉबी देओल का किरदार और ज्यादा दिखाई पड़ता. क्योकि जिस तरह Animal फिल्म में उनको पहली बार दिखाया जाता है वहीँ से यह किरदार भयानक और इंट्रेस्टिंग लगने लगता है. मगर उनका रोल फिल्म में काफी कम रखने के कारण एक बेहतरीन विलन बनने से रह गया. इस किरदार में बहुत ज्यादा Potential थी की यह बॉलीवुड के कई ग्रेटेस्ट विलन में से एक बन सकता था. मगर यह संदीप रेड्डी वांगा की कमजोर कहानी के कारण अवसर अधुरा रह गया.

एनिमल फिल्म में एक डायलॉग है की Yes This is Man’s World and You should Live in this. और शायद यही कारण है की फिल्म में महिला किरदारों को ठीक ठाक सा स्क्रीन पर समय दिया गया. फिल्म में फीमेल रोल में रश्मिका मंधाना है. उनके हिस्से में कुछ एक अच्छे दर्शय आये है. और उन्होंने पूरी कोशिश करके उन दर्शयो के साथ इन्साफ करने की कोशिश की है. मगर उनके द्वारा बोले गए संवाद शायद उनकी एक्टिंग को थोडा कमजोर बनाते है.

वहीँ फिल्म में रणबीर कपूर के पापा के रोल में अनिल कपूर ने बलबीर सिंह का किरदार निभाया है. यह किरदार बहुत कमजोर लिखा गया है. पूरी फिल्म में अनिल कपूर सीरियस लुक में दिखाई देते है. और उनका अपने बेटे को नजरअंदाज़ करने का कोई कारण नही बताया. उनके किरदार के बारे में थोडा और बतलाया जा सकता था. फिर भी अनिल कपूर इस किरदार की बड़े अच्छे तरीके से निभाते है.

तृप्ति धीमरी का छोटा सा रोल है. जो इस फिल्म को वांगा साहब के फिल्म को एडल्ट बनाने के लक्ष्य में सहायक होता है सिर्फ. बाकी एक्टिंग के लिए उनकी लैला मजनू और बुलबुल फिल्म देखे तो ज्यादा उचित होगा.

तो देखा जाए तो Animal फिल्म में रणबीर कपूर के किरदार के अलावा लगभग सभी किरदारों की लिखाई कमजोर है. इसकी कारण जो किरदार बड़े धांसू हो सकते थे वो जाया हो जाते है.

बेहतरीन म्यूजिक और अन्य तकनिकी पक्ष

जैसा की मैंने बताया की रणबीर का पहली बार जब बियर्ड लुक दिखाया जाता है उस सीन में बैकग्राउंड में बजता म्यूजिक बहुत ही गा फाड़ लगता है. और Animal फिल्म में कई जगह इस तरह का शानदार बैकग्राउंड सुनाई देता है जो दर्शयो को सबसे ऊचे लेवल पर ले जाता है. तो हैट्स ऑफ एनिमल फिल्म के haunting धांसू बैकग्राउंड म्यूजिक के लिए.

साथ ही फिल्म में गाने बहुत बेहतरीन है. अर्जन वेल्ली गाना जहा आता है OMG क्या शानदार एक्शन सीन था. और क्या शानदार तरीके से उस एक्शन सीन को बनाया गया. waao.

साथ ही फिल्म में सिनेमेटोग्राफी भी अच्छी है.

ओवरआल – Animal 2023 film review

तो देखा जाए तो संदीप रेड्डी वांगा ने Animal फिल्म को बहुत ही शिद्दत से बनाया है. वो इसके म्यूजिक, इसके कुछ बहुत ही ज्यादा नए और धांसू दर्शयो से झलकता है. साथ ही रणबीर कपूर ने जो अभिनय किया है बेशक साल 2023 के लिए उन्हें बेस्ट एक्टर के कई अवार्ड मिलने वाले है.

मगर यह एक बहुत ही ज्यादा धांसू फिल्म हो सकती थी. मगर यह सिर्फ एक ठीक ठाक सी फिल्म है. जो टुकडो में बहुत धांसू है. मगर ओवरआल एक औसत सी फिल्म है. इसका मुख्य कारण संदीप रेड्डी वांगा साहब है. जो क्रिटिक्स को दिखाना चाहते थे एक वायलेंट फिल्म. और इसी खुन्नस में वो सिर्फ वायलेंस के पीछे रह गये और फिल्म एक शानदार फिल्म बनने के बजाय एक औसत फिल्म बनाकर रह गयी.

और वांगा साहब जिन क्रिटिक्स को वायलेंस दीखान चाहते थे वो वर्ल्ड सिनेमा देख कर आ चुके है बॉस. उन्होंने क्लॉक वर्क ऑरेंज जैसी भयानक मगर उम्दा वायलेंट फिल्मे आलरेडी देखी है. तो संदीप रेड्डी वांगा एक बेहतरीन निर्देशक हो सकते है बशर्ते वो अपने घमंड को एक तरफा रख कर फिल्म बनाये.

बाकी जो इस आर्टिकल के टाइटल में मैंने कहा की रणबीर का किरदार फिल्म में एक बन्दर की तरह लगता है जो ना कुछ समझता है ना किसी की सुनता है मगर अल्फा का ज्ञान हर जगह चो*ता फिरता है. एक मानसिक रूप से बीमार किरदार जो अल्फा बन रहा है मगर उसे मानसिक doctor की जरुरत है.

Animal फिल्म टुकडो में अच्छी है. बहुत अच्छी हो सकती थी. रणबीर कपूर की एक्टिंग ने फिल्म को ऊपर उठाया है. बाकी वायलेंस क्या होता है मैं संदीप रेड्डी वांगा साहब को बताता हूँ इस नीचे लिस्ट में.

  • I Saw The Devil
  • ClockWork Orange
  • Old Boy
  • RAW
  • Inglorious Basterds

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