Society of the Snow Review in Hindi : हम पहले भी सिनेमा जगत में कई फिल्मे देख चुके है जिसमे कहानी जिंदा बचने या जिंदा रहने की होती है. इन सर्वाइवल फिल्मों ( Survival Movies ) में प्रमुख है टॉम हंक्स की साल 2000 में आई फिल्म कास्ट अवे ( Cast Away ) साथ ही 127 हॉर्स ( 127 Hours ), राजकुमार राव की ट्रैप्ड , ग्रेविटी और इफरान खान की ” लाइफ ऑफ पाई ” जैसी फिल्मों का अक्सर नाम लिया जाता है.
Society of snow भी इसी प्रकार की फिल्म है. 1972 में हुए उरुग्वे फ्लाइट के बर्फ से ढके एंडीज पर्वत श्रंखला में एक्सीडेंट और वहा जिंदा बचे लोगो के सर्वाइवल की कहानी है Society of snow .
देखा जाए तो लगभग सभी सर्वाइवल वाली फिल्में सफल हुई है. लोगो को पसंद आई है. सोसायटी आफ स्नो भी इस मामले में निराश नहीं करती. बल्कि अपने बेहतरीन डायरेक्शन, शानदार सिनेमेटोग्राफी और स्क्रीनप्ले के कारण नयेपन का अहसास करवाती है.
तो दोस्तो आइए जानते है की नेटफ्लिक्स फिल्म ” Society of Snow ” के बारे में की फिल्म देखने लायक है या नही.
Society of the Snow Review in Hindi
1972 उरुग्वे फ्लाइट एक्सीडेंट की वास्तविक घटना पर आधारित
सोसाइटी ऑफ स्नो साल 1972 में हुई उर्गुवे प्लान दुर्घटना पर आधारित फिल्म है. जिस प्लेन दुर्घटना में कुल 40 लोग शामिल थे मगर वहां से जिंदा बचकर लोटने वाले सिर्फ 16.
जिस तरह से इस सच्ची घटना को फिल्म में दिखाया गया है वो बेहतरीन है. चाहे प्लेन क्रैश का VFX हो. चाहे प्लेन क्रैश के बाद जिंदा बचे लोगो के जिंदा रहने की जद्दोजहत हो. बहुत ही बेहतरीन तरीके से दिखाया गया है.
एनडीस पर्वत श्रंखला जो चारो ओर से बर्फ से ढकी हुई है. जिसमे इतना बड़ा प्लेन भी एक चिटी की तरह दिखाई पड़ता है. जहा जिंदा रहने के लिए ठंडी हवाओं से बचना पड़ता है, भूख से बचने के लिए उन लोगो को उनके प्लेन के साथी यात्रियों की बॉडी का मास तक खाना पड़ता है.
जिस तरह हम Tom Hanks को फिल्म कास्ट अवे में भी जिंदा रहने के लिए वो सारे हथकंडे अपनाते हुए देख चुके है जिसमे सिर्फ जिंदा रहना ही एक मात्र ऑपेंशन होता है. उसी तरह इस फिल्म में भी हम बर्फ के पहाड़ो के बीच फसे लोगो को जिन्दा रहने के लिए सारे हत्त्कंडे अपनाते देखते है.
यह घटना साल 1972 की है. इस घटना में जिंदा बचे लोगो के द्वारा यह पूरी घटना बाकी लोगो तक दुनिया तक पहुंची.

उम्दा सिनेमेटोग्राफी, बेहतरीन एक्टिंग और जबर निर्देशन का मेल
Society of snow कुछ लोगो के बर्फ से घिरे वीराने में जिंदा रहने की कहानी है. उनको क्या क्या परेशानियां आती है. किस किस परेशानियों से वो कैसे कैसे सामना करते है वो इस फिल्म में दिखाया गया है.
खूबसूरत प्रकृति के नजारे दूर से ही खूबसूरत नजर आते है. मगर जब इनके बीच कोई फस जाता है तब मनुष्य खुद को बहुत कमजोर पाता है. जिस तरह एक राजनेता भीड़ के सहारे खुद को ताकतवर समझता है मगर उसे किसी जंगल में लाकर खड़ा कर दिया जाए तो वहां वो भीड़ के बिना कुछ भी नही है.
जिस तरह एक ऐसा व्यक्ति जो पैसों से कुछ भी खरीद सकता है, कुछ भी कर सकता है अगर उसे प्रकृति के इन सुनसान विरानो में लाकर खड़ा कर दिया जाए तो वो कुछ भी नही है.
तो सोसाइटी आफ स्नो में भी उन लोगो की इस तरह की हालत को बड़े सही तरीके से दिखाया गया है.
इस फिल्म में पेद्रो लुकुए की बेहतरीन सिनेमेटोग्राफी बर्फ से ढके एनडीस पर्वत श्रंखला को बहुत ही खुबसूरत साथ ही साथ डरावने तरीके से दिखाने में कामयाब हुए है. एक ओर वो फिल्म में इन पर्वतो को दिखाते है तो दूसरी ओर इनके बीच फसे लोगो को ज़िन्दगी से झूझते हुए दिखाते है. और यह सब जब स्क्रीन पर घट रहा होता है तब विसुअली बहुत शानदार लगता है.
साथ ही इस फिल्म में जितने भी कलाकारों ने एक्टिंग की है. उन्होंने अपनी एक्टिंग से इस वास्तविक घटना को एक फिल्म के जरिये भी वास्तविक रूप में दिखाने में कामयाब हुए है. उन किरदारों की हसी, उनका गम, उनका दर्द, उनकी पीड़ा को सभी एक्टर्स ने बहुत ही बेहतरीन तरीके से निभाया है.
J. A. Bayona इस फिल्म के निर्देशक है. और ओवरआल जब हम फिल्म को देखते है तो हम इस फिल्म से जुड़ जाते है. उनके किरदारों से जुड़ जाते है. फिल्म हमें बोर नहीं करती. ना ही फिल्म में कुछ बहुत ओवर दिखाया जाता है. तो इस हिसाब से इसके निर्देशक का यह विज़न हमें सफल होता दिखाई देता है.

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ओवरआल रिव्यु – Society of The snow
तो ओवरआल तरीके से देखा जाए तो Society of the snow एक बेहतरीन फिल्म है. जिसमे हमें रोमांच देखने को मिलता है. जिसमे हमें खुबसूरत बर्फ के पहाड़ो के बीच ज़िन्दगी का डरावना रूप देखने को मिलता है. यह सब हमें बोर नहीं करता. तो अगर आप इस वीकेंड फ्री हो तो यह फिल्म जरुर देखे. क्योकि ऐसी फिल्में देखने के बाद ही हमें पता चलता है की ज़िन्दगी कितनी कीमती है. जो चीज़े हमें आज कीमती लगती है शायद अगर हम भी ऐसी किसी परिस्थिति में फस जाएँ तो हमें भी ज़िन्दगी की असली कीमत पता चलेगी.