Amar Singh Chamkila movie review in hindi : इम्तिआज अली की पिछली दो फिल्मे लव आज कल 2 और जब हैरी मेट सेजल कुछ ख़ास कमाल नहीं कर पाई थी. मगर इस बार इम्तिआज अली ने अपनी सिनेमा की कला का बेहतरीन नमूना पेश किया है.
बेहतरीन इसलिए क्योंकि उनकी हाल ही में नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई फ़िल्म ” Amar Singh Chamkila ” उसके हर पक्ष मे मजबूत नजर आती है. चाहे वो इस फ़िल्म का निर्देशन हो, चाहे इस फ़िल्म का संगीत हो, चाहे एक्टिंग पक्ष हो. सभी दिशाओ में यह फ़िल्म हमें फिर से याद दिलाती है की इम्तिआज अली किस तरह के बेहतरीन फ़िल्म निर्देशक है.
तो दोस्तों आइये और ज्यादा जानते है इस फिल्म के बारे में Amar Singh Chamkila Movie Review में .
Amar Singh Chamkila movie review in hindi
कहानी
जैसा की अब तक आपको पता ही चल चुका होगा की अमर सिंह चमकिला फ़िल्म इसी नाम के 70 के दशक के गायक की कहानी है. जो फिल्म में अलग अलग लोगो की मुंह जबानी सुनाई जाती है. हमें अलग अलग लोगो के विचारो, उनकी पसंद- ना पसंद के द्वारा अमर सिंह चमकीला के अच्छे बुरे पहलुओं को बताया जाता है.
अमर सिंह चमकिला अपने गंदे गानों ( समाज के अनुसार उनके गाये गाने अश्लील थे ) के कारण उस समय बहुत ज्यादा चर्चा में आया था. उसके म्यूजिक एल्बमस ने कई रिकॉर्ड तोड़े और कई नए रिकॉर्ड बनाए. मगर जिस तरह काफी लोगो को पंजाब में उनके द्वारा गाये गाने पसंद आ रहे थे तो कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्हें चमकीला द्वारा गाये गानों से बहुत नफरत थी. अधिकतर नफरत करने वाले लोगो का मानना था की अमर सिंह चमकीला के गाने समाज को गन्दा कर रहे है. मगर फिल्म में शुरूआती क्रेडिट्स के दर्शयो द्वारा दिखाया जाता है की चमकीला ने वही गाया जो उसने समाज में देखा. बाद में जब चर्चित हो गया तो उसने अपने गाने बदलने की कोशिश भी की. मगर लोगो ने उससे उसी तरह के गानों को गाने के लिए कहा जो समाज के अनुसार अश्लील थे. और इन्हीं गानों के कारण उसकी मौत हुई.
फिल्म में चमकीला के लिए गाने में एक लाइन आती है की ” जिस वजह से चमका, उस वजह से टपका “. मगर अमर सिंह चमकिला, सेक्सीला, जब तक जिन्दा रहा अपनी कला को मरने नहीं दिया.
यह फ़िल्म चमकिला के जीवन को अलग अलग लोगो के नजरिये के द्वारा दिखाई जाती है. भूत – वर्तमान के समयकाल मे दौड़ती अमर सिंह चमकिला फ़िल्म का स्क्रीनप्ले आपको बोरियत महसूस नहीं होने देगा. दिलजीत की शानदार एक्टिंग, गजब का म्यूजिक, इम्तिआज अली के निर्देशन से लबरेज इस फ़िल्म की कहानी आपको चमकिला के द्वारा गाये अश्लील गानो को सही नहीं टहराती है, बल्कि वो सिर्फ अमर सिंह चमकिला के जीवन को दिखाती है.
आपको अमर सिंह चमकीला के जीवन को फिल्म में देखकर पता चलता है की वो कहाँ से आया था. गरीबी, जात पात में कुचला एक गरीब इंसान. जिसके लिए स्वाभिमान, अच्छा बुरा बाद में है, सबसे पहले है इस संसार में सर्वाइव करना.
अमर सिंह चमकीला एक आर्टिस्ट की कहानी है. जो अपने आर्ट से कोम्प्रोमाईज़ नहीं करता है. क्योकि शायद जब चमकीला जैसे आर्टिस्ट या फिर साधारण लोग इसी समाज के द्वारा बनाए गए झूठे रुदिवादी नियमो के नीचे कुचल रहे होते है तब यह समाज उनकी सहायता करने को आगे नहीं आता. मगर जब ऐसे लोग फेमस हो जाते है तो समाज ज्ञान देने आ जाता है.
अमर सिंह चमकीला के जीवन को एक कहानी के रूप में लिखा है इम्तिआज़ अली और साजिद अली नै. इस फिल्म की कहानी भूत-वर्तमान के कालखंड में घूमती रहती है. इसी कारण उबाऊ नहीं होती. फिल्म शुरुआत से ही तगड़ी मजबूती से कहानी आपको फिल्म से बाँध कर रख देती है.
एक्टिंग
इम्तिआज़ अली ने दिलजीत को अमर सिंह चमकील के किरदार को निभाने का जो निर्णय लिया वो एक दम सही निकला. शायद दिलजीत से बेहतर कोई अमर सिंह चमकिला के किरदार को निभा ही नहीं पाता. क्योकि दिलजीत खुद एक पंजाबी गायक कलाकार है. उन्होंने चमकीला के गाने बचपन से सुने है. यहाँ तक की दिलजीत ने अमर सिंह चमकीला के जीवन पर ही आधिरत एक पंजाबी फिल्म भी की है.
दिलजीत अपने भोलेंपन से चमकीला के कलाकार को बेहतरीन तरीके से दिखाते है. मगर जब वो स्टेज पर चमकीला के गानों को गाते हुए असली के चमकीला की तरह ही एक्ट करते है तो कसम से मजा आ जाता है. दिलजीत जितने अच्छे गायक है उतने ही अच्छे एक्टर भी है. और यह साबित हो चुका है इस फिल्म से.
कुछ लोगो का कहना है की अमरजोत कौर के किरदार को अगर किसी और पंजाबी कलाकार ने निभाया होता तो ज्यादा बेहतर होता. मगर मुझे परिणिति चोपड़ा की एक्टिंग में कुछ भी कमी नजर नहीं आई. हा, यह दूसरी बात है की उनके पास फिल्म में मजबूत दर्शय नहीं थे जिनके सहारे वो अपनी एक्टिंग अच्छे से दिखा पाए. मगर जहाँ बिना डायलॉग बोले शर्म लिहाज वाली अदयागी दिखानी हो वहां परिणिति ने अच्छा काम किया है.
जबरदस्त काम किया है चमकिला के साथी बने अंजुम बत्रा ने. इस फ़िल्म से पहले मैंने उनका शानदार अभिनय देखा था नेटफ्लिक्स की ही गजब की कॉमेडी सीरीज ” मामला लीगल है ” में.
इनके अलावा अनुराग अरोरा पुलिस अफसर के किरदार में है. उनका काम भी हमेशा की तरह अच्छा है. बाकी यह फ़िल्म मुख्य रूप से दिलजीत के कंधो पर ठीकी है. और दिलजीत ने जबरदस्त अभिनय किया है.
म्यूजिक/बैकग्राउंड
यह एक गायक के जीवन पर आधारित फ़िल्म है. तो बेशक़ है की इस फ़िल्म मे म्यूजिक का अहम् रोल होगा. फ़िल्म मे दो तरह का म्यूजिक है. एक जो दिलजीत ने फ़िल्म मे चमकिला के गानो को गाया है. दूसरा जो ए. आर. रेहमान साहब ने बनाये है.
फ़िल्म के शुरुआत मे ही गाना आता है. बाजा. जो फ़िल्म ला टोन सेट कर देता है. इरशाद कामिल साहब के बोल और ए. आर. रेहमान साहब के म्यूजिक की जुगलबंदी चमकिला के जीवन को शानदार संगीत के सहारे आगे बढ़ाते हुए हमें दिखाती है.
रॉकस्टार के बाद हमें ए.आर.रेहमान, मोहित चौहान, इरशाद कामिल और इम्तिआज अली का जादू फिर से देखने को मिला ” इश्क़ मिटाये ” गाने में . यह गाना रॉकस्टार फ़िल्म के गाने साडा हक़ गाने की फील देता है.
तू क्या जाने गाना रोमांटिक सांग है. जिसमे चमकिला और मंजोत कौर के बीच बनती रोमांटिक केमिस्ट्री को बड़ी ही खूबसूरती से दिखाया है.
मेरा सबसे पसंदीदा गाना ” विदा करो ” फ़िल्म के अंत मे आता है. अरिजीत सिंह की आवाज़ मे आया यह गाना कुछ हद तक इमोशनल करके चला जाता है. और अब तक मैं खुद इससे बाहर नहीं निकल पाया हूँ.
ये तो बात हुई जो गाने इस फिल्म के एल्बम में है. बाकी चमकीला के गानों को जब जब दिलजीत फिल्म में गाता है तो बहुत खूब सुनाई पड़ता है. साथ ही फिल्म में बेहतरीन बैकग्राउंड म्यूजिक है. एक दम मस्त बैकग्राउंड म्यूजिक.
तो दोस्तों अमर सिंह चमकीला के गाने मस्त है, शानदार है, मधुर है. एक बार फिर ए.आर.रहमान, इरशाद कामिल, मोहित चौहान की जोड़ी ने कमाल कर दिया.
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पंजाब के खूबसूरत खेत, 70 के दशक का पंजाब को सिनेमेटोग्राफर ने अच्छे तरीके से दिखाया है. स्टेज पर चमकिला द्वारा दी गयी परफॉरमेंस वास्तविकता के करीब जा टहरती है क्योंकि उन स्टेज पर लगाए गए टेंट, दर्शकों की कुर्सियां, गाना गाने के लिए माइक सब उस दशक को बताने मे सफल होते है.
आरती बजाज की एडिटिंग तारीफ के काबिल है. वैसे आरती बजाज ने इम्तिआज़ अली के साथ पहले भी हाईवे, रॉकस्टार जैसे शानदार फिल्मो में काम किया है. तो बेशक उन्हें इम्तिआज़ अली के फिल्म क्राफ्ट का ज्ञान होगा. खासकर रॉकस्टार में उन्होंने जिस तरह से कहानी को फ्लैशबैक और फ्लैशबैक में भी फ्लैशबैक के द्वारा दिखाया था.
बाकी इम्तिआज़ अली साहब के निर्देशन की तारीफ तो इतनी ही करूँगा की आखिर वहीँ इम्तिआज़ वापस आ गए है जो पिछली दो फिल्मो से गायब थे. वही इम्तिआज़ अली जिनकी फिल्मों में रेबेलियन टच दिखाई देता है. वही इम्तिआज़ अली जिनके सिनेमा में प्यार, क्रांति साथ साथ चलते है. इम्तिआज़ अली का सिनेमा वापस आ गया है.
अमर सिंह चमकिला के गानो को कहीं भी ग्लोरिफाई नहीं किया गया है. चमकिला के जीवन को अलग अलग लोगो द्वारा कहने के पीछे यही कारण रहा होगा की निर्देशक इम्तिआज अली चमकिला के अच्छे बुरे हर पक्ष को दिखाया है वो भी उसके आस पास के लोगो की मुँह जबानी.
जब भी कोई एक व्यक्ति चमकिला के बारे मे बताकर बात खतम करता, फ़िल्म मे चमकिला की लाश को दिखाया जाता. शायद निर्देशक बताना चाह रहे होंगे की यह कहानी भले ही चमकिला की हो. मगर चमकिला जो मर चुका है, उसके द्वारा नहीं सुनाई जा रही. क्योंकि अगर चमकिला खुद स्वयं की कहानी सुनाता तो बेशक़ खुद के बारे मे सबसे अच्छा ही बताता.
तो दोस्तों अमर सिंह चमकिला इम्तिआज अली की उन फिल्मों मे से एक है जिसे एक बार से ज्यादा देखा जाना चाहिए. क्योंकि जितनी बार इसे देखेंगे, कुछ नया ही पाओगे.
Amar singh chamkila – ओवरआल रिव्यु
मैंने अभी तक यह फिल्म एक बार देखी है. बेशक जब मैं इसे दूसरी बार देखूंगा तो कुछ नया जानने को मिलेगा. क्योकि यह फिल्म दो से तीन बार देखने के बाद ही ज्यादा इफेक्टिव लगेगी. यह बात भी है की शायद यह इम्तिआज़ की पिछली फिल्मो रॉकस्टार, हाईवे जितनी शानदार नहीं है, या उनसे बेहतर है, या उनके लेवल को छूती है, मगर इस प्रकार की तुलना ना की जाए तो बेहतर होगा. क्योकि हर निर्देशक की हर फिल्म अलग होती है.
और अमर सिंह चमकीला एक शानदार फिल्म है. जिसे आपको जरुर देखना चाहिए.
तो दोस्तों ekarwaan.com पर आपको ऐसे ही शानदार फिल्म रिव्यु और फिल्म रिकमेन्डेशन मिलेंगे. आते रहिये यहाँ सिनेमा के बारे में जानने के लिए.