मुंबई माफिया पर हम बहुत सी फ़िल्में और सीरीज देख चुके है. तेज तर्रार एक्शन और कहानी से भरपूर कुछ फ़िल्में आपको पसंद आयी और कुछ नहीं.
मगर BAMBAI MERI JAAN एक बम्बइया माफिया सीरीज होते हुए भी कहीं न कहीं बाकी सभी माफिया फिल्मों/सीरीज से अलग नजर आती है.
जिसका मुख्य कारण है इसकी धीमी स्टोरी और स्क्रीनप्ले. जो उस दाऊद की कहानी पूरी तरह से खुलकर बताती है. जिस दाऊद के किरदार को हमने बॉलीवुड गैंगस्टर फिल्मों मे सिर्फ झलकियो के रूप मे देखा है.
दाऊद इब्राहिम हम सब जानते थे. मगर शायद बम्बई मेरी जान अमेज़न सीरीज हमें दाऊद और उसकी दुनिया से रूबरू करवाती है.
और यही ख़ास बात वेब सीरीज कंटेंट को फ़िल्मी कंटेंट से अलग बनाती है. क्योंकि फ़िल्म के पास कहानी बताने के लिए दो या बमुश्किल तीन घंटे होते है.
मगर वेबसीरीज का सामान्यत समयकाल 8 से 9 घंटे का रहता है. जिस कारण क्रिएटर्स को खूब समय मिलता है अपने किरदारों को, अपनी कहानी को एस्टेब्लिश करने के लिए.
और Bambai meri jaan सीरीज के क्रिएटर्स के पास यही एक प्रीविलेज था और उन्होंने इसे खूब भुनाया. किरदारों को मेच्योर होने के लिए कहानी को भरपूर समय दिया. कोई जल्दी नहीं. कोई हड़बड़हाड़ नहीं. और शायद यही इस सीरीज को एक अच्छी और ख़ास सीरीज बनाती है.
तो दोस्तों और बात करते है Bambai meri jaan सीरीज के बारे में. और जानते है की यह सीरीज कौन कौन से मायनो मे अच्छी है और कौन कौन से पक्ष काम नहीं करते है.
Bambai meri jaan (2023) review
कहानी मे मुंबई, मुंबई मे माफिया, माफिया मे दाऊद, और दाऊद के मोस्ट वांटेड माफिया बनने की कहानी
Bambai meri jaan सीरीज आधारित है हुसैन ज़ैदी की किताब ” डोंगरी टू दुबई ” पर. जो कहानी बयान करती है दाऊद अब्राहिम के जीवन को. उसके एक आम इंसान से मुंबई माफिया का किंग बनने की कहानी है इसमें.
रेंसिल डी सिलवा और समीर अरोरा ने इस किताब को सीरीज मे तब्दील किया है. उनका लेखन का काम बहुत अच्छा है. उन्होंने स्क्रीनप्ले मे पकड़ मजबूत करने के लिए जबरदस्ती का एक्शन या रोमांच नहीं डाला. बल्कि वो कहानी मे धीमापन रखते है. किरदारों के जीवन मे घुसने का समय देते है. उनसे अच्छे से रूबरू करवाते है. मगर बीच में कहीं कहीं इस सीरीज की गति बहुत ही ज्यादा धीमी हो जाती है. मगर फिर भी सीरीज का लेखन इसे संजीदा बनाये रखता है.
तो देखा जाए तो लेखन के डिपार्टमेंट मे लेखकों ने इस कहानी के साथ इंसाफ किया है. शायद Bambai meri jaan का धीमापन हमें दाऊद के जीवन को जानने के लिए प्रयाप्त समय देता है.

डायलॉग
मुंबई माफिया पर कई फ़िल्में बॉलीवुड मे बनी है. और उनमे से अधिकतर फिल्मों मे डायलॉग बहुत धांसू थे. चाहे वो अजय देवगन की फ़िल्म ” Once Upon a Time in Mumbai ” हो या शूटआउट इन वडाला जैसी माफिया फ़िल्में. इन सभी फिल्मों मे डायलॉग बहुत धांसू थे.
यहाँ मुझे शूटआउट इन वडाला का एक डायलॉग याद आ रहा है. ज़ब मानया सुर्वे दाऊद के पास जाता है. और दाऊद से उसका पता पूछता है तो दाऊद का बड़ा भाई शाबिर इब्राहिम कसकर, जिसका नाम फ़िल्म मे बदलकर ज़ुबैर इब्राहिम हक्सर, रखा गया था, जबर डायलॉग फोड़ता है की ” बादशाह की गली मे आकर उसका पता नहीं पूछते, ग़ुलामो के झुके हुए सर खुद ब खुद रास्ता बता देते है “
ऐसे मासी डायलॉग डालने के बजाय Bambai meri jaan सीरीज के डायलॉग राइटर्स हुसैन दलाल और अब्बास दलाल ने संवादो को ज़मीनी स्तर पर रखा. उनमे किसी तरह का नाटकीय भाव डालने के बजाय डायलॉगस को साधारण रखा गया. जो इस सीरीज के समझदारी भरे होने का प्रमाण देते है.
तो देखा जाए तो डायलॉग डिपार्टमेंट मे Bambai meri jaan सीरीज Mature नजर आती है. जो तारीफ के काबिल है.

कमाल की अदाकारी
Bambai meri jaan सीरीज बेशक़ एक अच्छी सीरीज है. इसके कई पहलु इसके पक्ष मे काम करते है. मगर जो सबसे बेस्ट पार्ट है इसका वो है इस सीरीज के किरदारों को निभाने वाले एक्टर्स की शानदार अदाकारी.
सबसे पहले बात करते है दारा कादरी के किरदार को निभाने वाले अविनाश तिवारी की. अविनाश तिवारी ने इस सीरीज मे दारा कादरी का किरदार बहुत ही जबरदस्त तरीके से निभाया है.
दारा कादरी उर्फ़ दाऊद के जीवन के कई चरण इस किरदार मे है. दारा की उबलती जवानी से लेकर परिपक्व होते दारा के कई रूप को यह कहानी बताती है. जिसे अविनाश तिवारी ने बेहतरीन रूप से निभाया है.
दारा कादरी के पिता के रोल को निभाया है KK मेनन ने. केके मेनन हम सब जानते है जानदार शानदार ACTOR है. और इस सीरीज मे उन्होंने अपनी एक्टिंग से एक बार फिर साबित कर दिया की वो किस कदर के कद्दावर एक्टर है.
उन्होंने इस फ़िल्म मे दारा कादरी के पिता इस्माइल कादरी का किरदार निभाया है. पिता जो ईमानदार पुलिसवाला है. जो ईमानदारी से अपनी ड्यूटी करना चाहता है. मगर परिस्थितिया उसके पक्ष मे नहीं होती. उसे ईमानदारी और परिवार को बचाने मे से एक चुनना पड़ता है. उसे अपने बच्चों के निर्णयों , जिनसे वो कतई सहमत नही रहता , के साथ जीना पड़ता है.
इस्माइल कादरी के इसी द्वन्द, उनके गुस्से को बहुत सही तरीके से प्रस्तुत किया है केके मेनन ने अपनी एक्टिंग से.
कृतिका कामरा ने हैबिबा कादरी के किरदार को बड़ी मजबूती से निभाया है. मजबूती से इसलिए क्योंकि इस किरदार मे एक कठोरता थी. मुंबई लहजे मे बोलती एक लड़की. अपने भाई के बम्बई के भाई होने की शेकी बखान करती लड़की का किरदार कृतिका कामरा ने बड़े ही अच्छे तरीके से निभाया है.
सौरभ सचदेवा ने हाजी मक़बूल का किरदार निभाया है. हाज़ी मक़बूल बम्बई का डॉन है. मगर उसमे एक ईमानदारी है. और उसकी ईमानदारी को सौरभ सचदेवा ने बड़े ही अच्छे तरीके से निभाया है. हमने पहले भी सौरभ सचदेवा को इस तरह का किरदार निभाते देखा है. हर बार की तरह उनका काम काबिल ऐ तारीफ है.
इनके अलावा भी सीरीज मे कई किरदार है. जिन्हे काफी हद तक सभी एक्टर्स ने अच्छे से निभाया है. तो देखा जाए तो बम्बई मेरी जान एक्टिंग वाले भाग मे पूरी तरह से सफल होती है.

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म्यूजिक / सिनेमाटोग्राफी / अन्य तकनीकी पहलू
Bambai meri jaan सीरीज एक सीरियस क्राइम ड्रामा है. तो इस सीरीज में बैकग्राउंड में बजता साउंड भी इंटेंस है. डार्क है. मगर शानदार है. सीरीज में बेशक गालियाँ है, वायलेंस है मगर सीरीज के पांचवे एपिसोड के 51वे मिनट में एक बहुत ही ज्यासा हिंसक दर्शय है. जिसमे साउंड का बड़े ही धांसू तरीके से इस्तेमाल किया गया है.
साथ ही Bambai meri jaan की सिनेमेटोग्राफी बहुत ही उम्दा है. अँधेरे में हलकी रौशनी के दर्शय, बम्बई की बारिश में रात के दर्शय, पुराने समयकाल की बम्बई को बड़े ही अच्छे तरीके से दिखाया है इस सीरीज के सिनेमेटोग्राफर john schmidt ने.
बाकी एक सिनेमा को बनने में जो पहलु इस्तेमाल होते है वो सब सही लगे. शुजात सौदागर का निर्देशन अच्छा है. उन्होंने कुछ भी अति नही होने दिया. कहीं भी सीरीज के माहोल को अलग नही जाने दिया.
माहौल को अलग जाने देने से मतलब है की सीरीज एक सीरियस क्राइम ड्रामा है. तो उसमे जबरदस्ती की कॉमेडी, जबरदस्ती किसी प्रकार के गाने नही डाले गए. ना ही सीरीज में एक दम से कोई एक्शन सीन नही डाल दिया गया. तो एक संजीदा सीरीज के लिए संजीदा निर्देशन किया है शुजात सौदागर ने.
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तो पूरी तरह से देखा जाए तो Bambai meri jaan एक अच्छी अमेज़न प्राइम सीरीज है. जो अमेज़न प्राइम की बाकी सीरीज जितनी बेहतरीन तो नही है. मगर एक अच्छी सीरीज जरुर है. जिसे एक बार तो देखा ही जा सकता है. क्योकि यह एक स्लो बर्न है. जिसे आराम से समय लेकर देखा जाना चाहिए.
वार्निंग
जैसा की मैंने ऊपर बताया की Bambai Meri Jaan सीरीज में पांचवे एपिसोड के 51वें मिनट में बहुत ही भयानक सीन है. जिसमे साउंड से बिना दर्शय को दिखाए उस दर्शय के खौफ को महसूस करवा दिया जाता है. तो थोडा संभलकर देखना, क्योकि सिनेमा में कुछ ऐसे दर्शय होते है जो हमें परेशान तो करते ही है. मगर काफी लम्बे समय तक हमारे जेहन में फस जाते है.