साल 2001 में आई ग़दर फिल्म का पूरा नाम ग़दर : एक प्रेम कथा था. क्योकि उसमे तारा सिंह के सफीना के प्यार को देश विभाजन की आंधी में बचाने की लड़ाई थी. मगर हाल ही में रिलीज़ हुई फिल्म ग़दर के आगे सिर्फ 2 जुड़ा है. क्योकि इस फिल्म में कथा के नाम पर कुछ नही है. भले ही फिल्म को हिट करवाने के नाम पर उन्होंने सन्नी देओल के गुस्सेल रूप को भरपूर इस्तेमाल किया हो, भले ही उन्होंने पहली वाली ग़दर के गाने फिर से इस्तेमाल किये हो या एक बार फिर से पाकिस्तान में जाकर हैण्डपम्प उखाड़ना फिर से इस्तेमाल किया हो मगर इनके अलावा फिल्म में कुछ भी ऐसा नही की जो इसे पहली वाली ग़दर के आस पास भी खड़े रहने लायक बनाती हो.
तो आइये दोस्तों जानते है Gadar 2 Movie के हिंदी रिव्यु में की फिल्म क्या देखने लायक है या नही.
Gadar 2 movie review in hindi
Gadar 2 की कहानी
ग़दर 2 की कहानी लिखी है शक्तिमान तलवार ने. फिल्म की कहानी पहली वाली ग़दर के कई साल बाद की है. जहाँ तारा सिंह अपनी पत्नी सफीना और बेटे जीते के एक खुशहाल जीवन जी रहा है. मगर कुछ ऐसा होता है की तारा के बेटे जीते को पाकिस्तान जाना पड़ता है. और फिर उसे वहाँ बंदी बना लिया जाता है. बस फिर क्या हमारे सन्नी पाजी पहुँच जाते है पाकिस्तान. और पाकिस्तान आर्मी से लड़ते है अपने बेटे को बचाने के लिए.
ग़दर 2 की कहानी में कुछ भी नयापन नही है. यह एक टिपिकल बॉलीवुड देशभक्ति कहानी की तरह लगती है. जहां कुछ किरदारों द्वारा बेवकूफी भरे कदम उठाये जाते है. फिर हीरो द्वारा उन्हें ठीक किया जाता है. और पाकिस्तानी आर्मी से लड़ते हीरो को दिखाकर कुछ टिपिकल से मगर देशभक्ति वाले जोश भरने वाले डायलॉग बोले जाते है और दर्शको द्वारा तारीफे बटोर ली जाती है.
gadar 2 का संगीत
ग़दर 2 में संगीत दिया है मिथुन ने. और यहाँ उनके संगीत की तारीफ इसलिए करनी पड़ेगी की भले ही उन्होंने पहली वाली ग़दर के दो मशहूर गाने ” उड़ जा काले कावा ” और ” मैं निकला गड्डी लेके ” को इस फिल्म में फिर से इस्तेमाल किया हो मगर उन्होंने इन गानों के साथ ज्यादा छेड़खानी करने के बजाय उनके ओरिजिनल रूप में ही रखने की कोशिश की है.
इसके अलावा मिथुन ने ” दिल झूम ” और ” खेरियत ” जैसे खुबसूरत गाने में दिए है. जो की अच्छे है.
तो देखा जाए तो ग़दर 2 संगीत के मामले में निराश नही करती.
Gadar 2 के एक्टर्स की एक्टिंग
ग़दर 2 भले ही मुख्य रूप से सन्नी देओल के कंधे पर टिकी हो मगर जितना सनी पाजी का रोल इस फिल्म में है उतना ही उनके बेटे जीते ( उत्कर्ष शर्मा ) का किरदार भी इस फिल्म में दिखाई देता है. यहाँ तक की फिल्म कई बार सिर्फ उन पर ही टिकी रहती है. मगर अफ़सोस उत्कर्ष शर्मा की ख़राब एक्टिंग, खराब डायलॉग डिलीवरी इस किरदार के साथ इंसाफ नही कर पाती. ऐसा लगता है की यह फिल्म बनाई ही उत्कर्ष शर्मा के फ़िल्मी करियर को उछाल देने के लिए.
इस फिल्म में सनी देओल के अलावा कई और एक्टर्स ने काम किया है. मनीष वाधवा ने मेजर जनरल का किरदार निभाया है. इस किरदार के साथ दिक्कत यह है की पता ही नही चल पाता की किरदार ख़राब लिखा गया है इसलिए मनीष वाधवा की एक्टिंग खराब है या फिर मनीष की एक्टिंग खराब है इसलिए यह किरदार स्क्रीन पर ख़राब लग रहा है.
उसी तरह सिमरत कौर ने मुस्कान का किरदार निभाया है जो की जीते की लव इंटरेस्ट है. उनका भी किरदार भी बेहद नीरस लिखा गया है.
वहीँ पहली ग़दर की मुख्य हेरोइन अमीषा पटेल का किरदार इस फिल्म में सिर्फ मोरल सपोर्ट देने के ही काम का रह गया है.
मगर इन सबकी ख़राब एक्टिंग के अलावा सन्नी पाजी का काम तारीफ के लायक है. जबरदस्त एक्टिंग की है उन्होंने. जहां फिल्म के इंटरवेल से पहले वाले भाग में वो अच्छी एक्टिंग करते दिखाई देते है तो इंटरवेल के बाद वाले भाग में धांसू एक्टिंग से दर्शको में उत्साह बनाए रखते है.
चाहे सन्नी पाजी की दहाड़ हो, उनके जबरदस्त डायलॉग बोलने का अंदाज़ हो या फिर उनका एक्टिंग सब एक नंबर लगता है.
gadar 2 का निर्देशन
ग़दर 2 को निर्देशित किया है अनिल शर्मा ने. उन्होंने ग़दर 2 वेसी ही बनाई है जैसे पहली वाली ग़दर . मगर पहली वाली ग़दर जब आई तब दर्शक अलग थे, दर्शको की चॉइस अलग थी, समय अलग था मगर ऐसा लगता है की अनिल शर्मा अपने उस मोड से निकल ही नही पाए. पुरानी तरीके की कॉमेडी, नीरस लग रहे डायलॉग, टिपिकल बॉलीवुड देशभक्ति फिल्म जिसमे पाकिस्तानी आर्मी के लोग इंसान कम कोई creature ज्यादा लगते हो. उनके डायरेक्शन में कुछ भी नयापन नही है.
gadar 2 ओवरआल रिव्यु
देखो बात ऐसी है की 15 अगस्त आ रहा है. छुट्टी होगी. परिवार के साथ समय बिताने के लिए यह फिल्म एक अच्छी चॉइस है. मगर इस फिल्म में कुछ भी ऐसा नही है की इसे नही देखेंगे तो कुछ मिस कर देंगे. यहाँ तक की शायद देख लेने के बाद अफ़सोस हो की काश नही देखे होते तो ज्यादा अच्छा होता.