मामला लीगल है नेट्फ्लिक्स सीरीज समीक्षा – Poshampa पिक्चर ने पिछले साल ही नेट्फ्लिक्स के लिए ” काला पानी ” नाम की शानदार और गंभीर वेबसीरीज बनाई थी. इस प्रोडक्शन हाउस से जुड़े लोग मशहूर युट्यूब चैनल TVF के साथ काम कर चुके है. हम सब जानते है की TVF ने कई बेहतरीन सीरीज और फिल्में बनाई है. उनकी फिल्मों/वेबसीरीज का यथार्थ से जुडाव रहता है. उनकी फ़िल्में/सीरीज में कॉमेडी के साथ साथ अच्छी कहानी और सेंसिबल मुद्दे देखने को मिलते है.
तो एक बार फिर इसी जादू को बरकरार रखते हुए मेकर्स ने नेटफ्लिक्स के लिए भारतीय कानून व्यवस्था से जुड़ी एक बेहतरीन और कॉमेडी से भरपूर सीरीज बनाई है, जिसका नाम है “मामला लीगल है“.
तो दोस्तो आइए ekarwaan के इस रिव्यू में जानते है की आखिर पोष्मा प्रोडक्शन वालो ने उनकी पिछली सीरीज ” काला पानी ” से अलग इसमें क्या जादू दिखाया है.
आइए जानते है इस रिव्यू के माध्यम से की आखिर यह सीरीज आपको देखनी चाहिए या नहीं.
मामला लीगल है नेट्फ्लिक्स सीरीज समीक्षा
बेहतरीन कहानी लेखन
बॉलीवुड में हमने कई फिल्मे देखी है जो भारतीय कानून व्यवस्था और कोर्ट कचहरी की दुनिया को दिखा चुकी है. जिनमे हम मुख्य रूप से ” जोली एल एल बी ” , मराठी फिल्म ” कोर्ट ” को मुख्य रूप से याद करते है. क्योंकि दोनो ही फिल्मों में भारतीय न्याय व्यवस्था के इर्द गिर्द की दुनिया को बहुत यथार्थ रूप से दिखाया गया था.
उसी तर्ज पर नेटफ्लिक्स की सीरीज ” मामला लीगल है ” भी अपना काम बखूबी करती है. मतलब की ” मामला लीगल है सीरीज ” हमे भारत के कोर्ट कचहरी की दुनिया को बहुत बारीकी से दिखाती है. मगर इसमें और बाकी ऊपर बताई गई दोनो फिल्मों में अंतर यह है की वो फिल्मे इसी दुनिया को थोड़ा गंभीर होकर दिखाती है तो यह सीरीज इसी दुनिया को चुटीले अंदाज में मजेदार तरीके से दिखाती है.
जैसे प्रेमचंद ने कहानियों के माध्यम से गंभीर मुद्दों को कई बार कटाक्ष करते हुए बताया था. उसी तरह यह सीरीज भी कहीं न कहीं हस्ते हसाते हमें कुछ गंभीर मुद्दों और भारतीय कानून व्यवस्था पर कई सारी बाते बता जाती है.
मामला लीगल है सीरीज में कहानी घूमती है पड़पड़गंज के जिला न्यायालय के इर्द गिर्द. जहां VD त्यागी नाम के जाने माने वकील है जो को लॉयर बार एसोसिएशन के नेता भी है. उनका मकसद है अटॉर्नी ऑफ जर्नल बनने का. इसके लिए वो कुछ भी कर सकते है. उनके इसी गोल को पूरा करने की पहली सीढ़ी है लॉयरस के चुनावो में जीत दर्ज करके अपना नाम बनाना. इसके लिए हर एक एपिसोड के साथ हर एक नया हथकंडा अपनाते हुए दिखते है वी.डी.त्यागी.
वहीं दूसरी ओर इसी कोर्ट में एक नई वकील आई है अनन्या श्रॉफ.जिन्होने हार्वर्ड से लॉ की पढ़ाई की है. जो भारत मे कानून व्यवस्था के सहारे गरीब लोगो की सहायता करना चाहती है. मगर सीरीज के हर एपिसोड में उन्हें अपना पहला केस प्राप्त करने के लिए जिस तरह जी तोड़ मेहनत करना पड़ रहा है उसे देखकर तो लगता है की सहायता की जरूरत उन्हे ज्यादा है.
इन दो मुख्य किरदारों के साथ साथ कई अन्य किरदारों के साथ यह सीरीज हर एक नए एपिसोड के द्वारा हर एक नए मुद्दे के साथ कानून व्यवस्था पर कटाक्ष करती है और कानून व्यवस्था में सुधार का रास्ता दिखाती है. एक अच्छी और सेंसिबल कॉमेडी ड्रामा सीरीज या फिर फिल्म कैसे बनाई जाती है इसे देखकर आपको जरुर पता लगेगा.
जीतनी अच्छा कहानी का लेखन, उतना ही अच्छा लेखन इसके किरदारों का.
” मामला लीगल है ” सीरीज की लिखाई बहुत शानदार है. जितनी अच्छी इसकी कहानी, पठकथा लिखी गई है उतनी ही शानदार इसके किरदारों को लिखा गया है.
इसका मुख्य किरदार VD त्यागी निभाया है रवि किशन ने. एक महत्वाकांक्षी वकील जिसे जीवन में आगे बढ़ना है. जो अपने गोल को पाने के लिए सारे हथकंडे अपनाता है. रवि किशन ने किस किरदार को सही तरीके से निभाया है. उनको इस तरह के किरदार में देखना बहुत अच्छा लगता है. इसके लिए जीतनी तारीफ रवि किशन की होनी चाहिए, उससे ज्यादा तारीफ कास्टिंग टीम की होनी चाहिए की इस तरह के किरदार के लिए उन्होंने रवि किशन को चुना.
नैला ग्रेवाल जितनी खूबसूरत है उतना ही मनमोहक उनकी एक्टिंग है. हिंदी बोलने वाले किरदारों के बीच इंग्लिश में बात करती अनन्या अग्रवाल भी कई बार आपको हंसाने में कामयाब हो जाती है.
मगर जो इस सीरीज के बेस्ट किरदार है वो वही किरदार है जिन्हे शायद हम साइड किरदार कहेंगे. जैसे चाय वाले का किरदार. जिसने भी निभाया है बहुत गजब का काम किया है. साथ ही टीवीएफ वालो के साथ कई बार काम कर चुकी निधि बिष्ट ने ” सुजाता नेगी ” का किरदार उतने ही अच्छे ढंग से निभाया है जितने अच्छे तरीके से उन्होंने पहले सभी किरदारों को निभाया है.
साथ ही यशपाल शर्मा, ब्रिजेन्द्र काला, विजयंत कोहली जैसे एक्टिंग के दिग्गजों ने इस सीरीज में अपनी तगड़ी एक्टिंग से इस सीरीज को एक लेवल ऊपर ले गए है.
हां, रवि किशन के किरदार वी.डी त्यागी के साथ रहने वाले पाजी ” मिंटू ” का किरदार भी बहुत फनी है.
सार यह है की मामला लीगल है सीरीज में सभी किरदार जितने धांसू है, उतने ही जानदार तरीके से निभाया है कलाकारों ने इन किरदारों को.
मजेदार डायलॉग, यथार्थवादी सेट्स और जानदार निर्देशन
मामला लीगल है सीरीज भले ही एक कॉमेडी सीरीज है. मगर इसमें कई गंभीर मुद्दों को चुटीले अंदाज में बिना किसी की भावनाओं को आहत किये दिखाया गया है. और ऐसा करने में क्रिएटर्स सफल हुए है. जिसका काफी हद तक शेयर देना चाहिए इस सीरीज के डायलॉगस को. शानदार डायलॉग. जो आपकोहसने पर मजबूर कर देंगे.
वहीँ मामला लीगल है सीरीज में जिस तरह से कोर्ट के अन्दर और बाहर के दर्शय दिखाए गए है वो तारीफ के काबिल है.
तो देखा जाए तो मामला लीगल करीब करीब सभी हिस्सों में एक सफल नेट्फ्लिक्स सीरीज है. जिसका श्रेय इस फिल्म के निर्देशक ” राहुल पांडेय ” और फिल्म के क्रिएटर्स अमित गोलानी, बिस्वपति सरकार, सौरभ खन्ना और समीर सक्सेना को देना चाहिए. इनकी क्रिएटिविटी लाजवाब है. जैसा की मैंने ऊपर बताया की ये लोग TVF में एक साथ काम कर चुके है. उनके कई वीडियोस, शोज में लेखन से लेकर, निर्देशन, एक्टिंग डिपार्टमेंट में सभी काम कर चुके है. जिस तरह इन्होने TVF में रहते गजब का काम किया था उसी तरह उन्होंने पोषम पा प्रोडक्शन हाउस में भी गजब का काम किया है. जो इनकी दोनों सीरीज ( काला पानी और मामला लीगल है ) को देखकर समझ आ चुका है.
अब इन्तेजार रहेगा की इनके इस पिटारे से अगला क्या धांसू और नया निकलेगा.
ओवरआल समीक्षा – मामला लीगल है
तो दोस्तों अगर मैं इस रिव्यु को सारांश में बताऊ तो आपको मामला लीगल है सीरीज जरुर देखनी चाहिए. खासकर अपने परिवार के साथ जरुर देखना चाहिए. जिस तरह इस सीरीज में ऐसे ऐसे मुद्दों को हसी मजाक में दिखा दिया है वो शायद पहले हमने कभी बॉलीवुड फिल्मों में नहीं देखा था. एक अच्छी नेट्फ्लिक्स सीरीज. जो आपको कोर्ट कचहरी की दूनिया में गोता लगवाती है. और आपको बताती है की एक अच्छी और समझदार कॉमेडी सीरीज किस तरह बनाई जाती है.