OPPENHEIMER Review in Hindi
Oppenheimer तीन घंटे लम्बी फ़िल्म है. जो अधिकतम समय सिर्फ संवादो पर चलती है. जिस कारण यह कहीं कहीं उबाऊ होने लगती है. मगर फ़िल्म के अंत होने बाद भी यह आपके दिल दिमाग़ में रह जाती है.
Oppenheimer का भागवत गीता से संबध, उसका दर्द दुख पीड़ा दिखाती और अमेरिका के महान होने के दावे को झूठलाती यह फ़िल्म एटॉमिक बम को Romanticise नहीं करती. और शायद यही कारण है की आप फ़िल्म को जिस एटॉमिक बम के लिए देखने जा रहे हो. उस पर ज़्यादा जोर नहीं दिया गया. बजाय के इसमें Oppenheimer के जीवन के सफर को दिखाया है.
Oppenheimer के विज्ञान से जुड़े जीवन को इस फ़िल्म में कई भारी भरकम शब्दों, संवादों से दिखाया गया है. ज़ब वो 1920 में युवा थे तब से उनके विज्ञान के प्रति रुझान और विज्ञान की दुनिया में कुछ महान काम कर जाने की जर्नी को फ़िल्म के शुरूआती 1 घंटे में बताया है. यहाँ यह फ़िल्म बोरिंग लगने लगती है.

भागवत गीता और ओपनहैंमर का सम्बन्ध
J. रोबर्ट ओपनहैंमर एक वैज्ञानिक थे. मगर भागवत गीता से उनका जुड़ाव था. फ़िल्म में गीता के श्लोक ” कालोअस्मि लोक शयकृतप्रवृद्धओ “ का भी जिक्र हुआ है. जिसका मतलब है ” मैं काल हूँ, संसारो का नाश करने वाला हूँ “. और जब ओपनहैंमर एटॉमिक बम सफलता पूर्वक बना लेते है तब उन्होंने कहाँ भी था की ” Now I am Become Death, The Destroyer of the Worlds “. जो की गीता के श्लोक का इंग्लिश ट्रांसलेशन है.
जिस प्रकार महाभारत में अर्जुन शस्त्र उठाने से मना कर रहा था. जिस प्रकार अर्जुन लड़ाई नहीं लड़ना चाह रहा था. तब श्री कृष्ण थे जिन्होंने उसे समझाया की यह युद्ध लड़ना उसका कर्म है. अगर वो नहीं लड़ेगा तो कौरव लड़ेंगे और उसे पराजित कर देंगे . बुराई पर अच्छाई की जीत हो जायेगी.
उसी प्रकार ओपनहैंमर को भी एटॉमिक बम बनाना पड़ा. क्योंकि यह उसका कर्म बन चुका था. क्योंकि अमेरिका यह नहीं करता तो जर्मनी या रूस इसे बना लेते. बम बनाना ओपनहैंमर का कर्म था तो उन्होंने बनाया. मगर वो कभी नहीं चाहते थे की इसका इस्तेमाल किया जाए. खासकर ऐसे देश जापान पर जो दूसरे वर्ल्ड वार में पहले से ही हार की ओर था.
मगर ऐसा हुआ. अमेरिका ने जापान के शहर हीरोशिमा पर 6 अगस्त को लिटिल बॉय नाम का एटॉमिक बम गिराया. वहीं 9 अगस्त को नागासकी पर Fat Man नाम का बम गिराया. जिसमे लाखों लोग मारे गए. परिणाम यह हुआ की अमेरिका ने जापान पर जीत दर्ज कर ली. मगर उन लाखों लोगो की मौत का दाग़ खुद पर लगा लिया.
भले ही इसका एहसास अमेरिका को नहीं हुआ. मगर ओपनहैंमर को एहसास हो चुका था की यह बम बनाकर उसने जीवन की सबसे बड़ी गलती कर दी थी. और Oppenheimer का Remorse वाला पार्ट ही इस फ़िल्म का सबसे धाँसू और रोंगटे खड़े कर देने वाला पार्ट है.
OPPENHEIMER – REMORSE
Oppenheimer फ़िल्म में एक सीन है. जब अमेरिका ने जापान पर बम गिराकर उस पर जीत दर्ज कर ली थी तब Oppenheimer की सब तारीफ कर रहे थे. उसे देश का महान शख्श घोषित कर दिया था. अमेरिका के इसी जोश, उल्लास के दौरान जब oppenheimer को एक भीड़ को सम्बोधित करना होता है तब उस सीन में उसका डर, उसका Remorse, उसका दुख, उसका दर्द सब दिखता है. उसे एहसास है की उसने बहुत बड़ा पाप कर दिया है. वो इसका पश्चाताप करना चाहता है मगर कैसे वो नहीं जानता.
Cillian Murphy की जबरदस्त acting oppenheimer के चेहरे पर शिकन, अफ़सोस के भाव, बैकग्राउंड म्यूजिक और नोलन के जबरदस्त निर्देशन की बदौलत उसके Remorse को इस कदर दिखाने में सफल हुए है की आपकी साँसे फूलने लगती है. आपके रोंगटे खड़े होने लगते है.
Oppenheimer को अमेरिका की जीत का जश्न मनाते लोगो में रोते, चीखते लोग, जली हुई लाशो में फसे उसके पैर दिखाई देते है.

एक महान अमेरिका का काला सच
दरअसल Oppenheimer हमें दिखाता है The Great America के काले सच को. युद्ध का सबसे बड़ा सच यह होता है की जब आप जीतते हो तो दूसरे को मारते हो. आप युद्ध जीतने के लिए सारे दांव पेच लगाते हो. अमेरिका ने भी जापान पर बम गिराकर यही किया. मगर अमेरिका ने यह बम जर्मनी पर इस्तेमाल करने के लिए बनाया था. हिटलर को पराजित करने के लिए बनाया था. मगर जब हिटलर हार गया. वो मर गया. उसके बाद भी अमेरिका ने इस बम का इस्तेमाल किया. मगर जापान पर. जापान वैसे भी वर्ल्ड वार 2 में हार के कगार पर ही था. मगर अमेरिका को इसका इस्तेमाल करना था क्योंकि उसे अपनी ताकत दूसरे देशो को दिखानी थी.
वैसे ओपनहैंमर खुद भी चाहते थे की यह एटॉमिक बम बने. जिससे कोई भी देश युद्ध करने के लिए आगे बढे ही नहीं इसके विनाश के डर से और युद्ध होएगा ही नहीं तो इस बम का इस्तेमाल ही नहीं होएगा. मगर अमेरिका ने इसका इस्तेमाल किया.
ओपनहैंमर फ़िल्म अद्धभुत है. नोलन चाहते तो जापान पर बम गिराने और उसके विनाश के सीन्स दिखाकर दर्शकों का ध्यान और ज़्यादा खींच सकते थे. मगर उन्होंने फ़िल्म में सिर्फ इस घटना का जिक्र न्यूज़ या किसी के बतलाये जाने से किया. क्योंकि शायद नोलन इसे दिखाकर Romanticise नहीं करना चाहते थे.
बजाय उसके उन्होंने Oppenheimer के जीवन, जिसमे बम बनाना, उनका शादीशुदा होने के बाद भी Jean के साथ संबध होना,उनका कम्युनिज्म से जुड़े रहना, बम बनाने के बाद के पश्चाताप और उन पर बिठाई गयी जांच को इस फ़िल्म में बखूबी दिखाया गया है.
Oppenheimer सिनेमा की विधा का वो example है जिसे देखकर आप सीख सकते है की एक तगडी फ़िल्म कैसे बनाई जाती है. इस फ़िल्म में जबरदस्त स्टोरीलाइन है.. सिनेमाटोग्राफी उम्दा है.OPPENHEIMER के द्वन्द को महसूस करवाता बहुत ही उम्दा बैकग्राउंड म्यूजिक है.

एक्टिंग
Oppenheimer में कई बड़े कलाकारों ने काम किया है. मुख्य किरदार Cillian Murphy ने निभाया है. उनके जीवन का Best परफॉरमेंस दिया है.
हमारे प्यारे IRON MAN रोबर्ट डाऊनी जूनियर ने इस फ़िल्म में LEWIS STRAUSS का किरदार इतने गजब ढंग से निभाया है की लोग उन्हें अभी से ऑस्कर का दावेदार बनाने लग रहे है.
Oppenheimer की पत्नी के किरदार में एमील्ली ब्लट का काम भी अच्छा है.
Mat Damon ने फ़िल्म में Leslie Groves नाम के आर्मी चीफ का किरदार बड़े अच्छे ढंग से निभाया है.
फ़िल्म में और भी कई एक्टर्स ने छोटे छोटे रोल में काम किया है जैसे rami malik, जिन्होंने फ़िल्म में डेविड hill का किरदार निभाया है. जैक quaid भी फ़िल्म में कहीं कहीं दिखाई देते है.
मगर अल्बर्ट एइंस्टिन के किरदार में Tom Conti ने इस किरदार को यादगार बना दिया. भेल ही फ़िल्म में एइंस्टिन के सीन कम है. मगर एइंस्टिन और ओपनहैंमर के बीच के सीन्स बहुत ही शानदार बन पड़े है.

Christopher Nolan का सिनेमाई जादू
बाकी यह फ़िल्म बड़े स्टार्स की वजह से नहीं बल्कि Christopher Nolan के सिनेमा की वजह से चलेगी. उनकी फ़िल्म बनाने के तरीके की वजह से चलेगी. उनके बेहतरीन निर्देशन की वजह से चलेगी. Ha फ़िल्म में कमी यह है की यह शुरुआत में बहुत धीमी है. फ़िल्म में बहुत ज़्यादा हैवी डायलॉग है. जिस कारण यह हर किसी को उतनी पसंद नहीं आये शायद. और शायद एक बारी में पसंद नहीं आये. मगर यह फ़िल्म बेशक़ आपके साथ रहेगी. काफी समय तक रहेगी. क्योंकि फ़िल्म में जो जापान में हमले में लोग मारे गए उनको फ़िल्म में नहीं दिखाया. मगर Oppenheimer के दुख, अफ़सोस के द्वारा हमारे दिमाग में उस घटना को जीवंत करने का बेहतरीन काम किया गया है.
ओवरआल Review – Oppenheimer
Oppenheimer एक शानदार फ़िल्म है. मैं यह नहीं कहूंगा एक बार तो देखो इस फ़िल्म को सिनेमाहाल में. क्योंकि पहली बार तो यह आपको थोड़ी भारी लगेगी. बोरिंग लगेगी. मगर जब आपके साथ रहेगी तब इसे दोबारा देखो. फिर यह आपको इसके महान होने का एहसास दिलाएगी.
और जो सवाल है की क्या यह नोलान की best फिल्म है?
तो जवाब है की……… ( Cliff Hanger )
Nice