पाताललोक सीजन 2 हिंदी समीक्षा : साल 2020 चल रहा था. मिर्ज़ापुर का पहला सीजन अमेज़न प्राइम पर आ चुका था. सफल हो चुका था. इसके बाद पाताललोक नाम के किसी शो का ट्रेलर आया था. जो देखने में लग रहा था की मिर्ज़ापुर की तरह ही इसमें गालियाँ, मारकाट, बकेती होगी. कुछ ज्यादा उम्मीदे नहीं थी. 14 मई की गर्मियों की रात थी. पाताललोक का पहला सीजन उसकी तारीख से ठीक एक दिन पहले की रात को अमेज़न प्राइम पर स्ट्रीमिंग होने लगा था. मुझे ख़ास उम्मीद नहीं थी. फिर भी मैंने देखना शुरू कर दिया था.
पूरे आठ घंटे लगे देखने में इसे. सोचा था ठीक ठाक सा शो होगा. मगर जब पूरा देखा तो माँ कसम रूहं काँप गयी, अन्दर से प्योर संतुष्टि की जवाला फूटी. लगा की दुनिया को चीख चीख कर बता दूं की दुनियावालो यह नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा. मगर एक बात बताऊ दोस्तों………………बाकी की दुनिया भी यही कहना चाह रही थी. इसलिए दूसरे दिन दुनियाभर के रिव्युस आने लगे. लोग इस सीरीज की बात करने लगे. क्योकि पाताललोक ने सिनेमा के क्राफ्ट के उस लेवल को छु लिया था जो हॉलीवुड सिनेमा में द वायर, ब्रेकिंग बेड जैसी टीवी सीरीज ने बनाया था.
तो दोस्तों करीब 4 साल बाद अब उसी महान पाताललोक अमेज़न प्राइम सीरीज का दूसरा सीजन आ गया है. सच बताऊँ तो इसके पहले सीजन के बाद उम्मीदे और ज्यादा होनी चाहिए थी. मगर मेरी उम्मीदे सीजन 2 से बहुत ज्यादा नही थी. बस एक डिसेंट का शो हो, ऐसी मेरी उम्मीदे थी. और हुआ भी ठीक कुछ ऐसा ही.
अगर पाताललोक सीजन 2 की तुलना इसके पहले भाग से नहीं की जाए तो यह अपने आप में एक बेहतरीन और गजब का शो है. मगर क्या करे यह मानव दिमाग है. तुलना हो ही जाती है. तो पहले सीजन की तुलना में यह थोडा कम अच्छा है. मगर अपने आपमें पाताललोक सीजन 2 शानदार क्राफ्ट से बनाया हुआ, समझदार, ईमानदार शो है. ऐसा मैं क्यों कह रहा हूँ ? आइये जानते है पाताललोक सीजन 2 हिंदी समीक्षा में.

पाताललोक सीजन 2 हिंदी समीक्षा
पाताललोक सीजन 2 शानदार क्राफ्ट से बनाया हुआ गंभीर शो
शो में डेनियल नाम का एक किरदार है. रहस्यमयी किरदार. शो के अंत से पहले उसके भूत, भविष्य के बारे में कुछ मालूम नहीं पड़ता. बस जब जब वो किरदार स्क्रीन पर आता है तो दो प्रकार के बैकग्राउंड म्यूजिक सुनाई देते है. एक वो जब खून करने जाता है, तब कोई भी म्यूजिक मतलब की कोई नागालेंड की भाषा का गाना, या कोई और रेप सांग सुनाई देता है. और जब वो खून नहीं कर रहा होता तब कोयल की मध्यम सी आवाज़ या उस काली चिड़िया की चहकने की आवाज़ आती है जो हमनें कभी न कभी जरुर देखी है. और इस चिड़िया की आवाज़ धीरे धीरे गति में तेज होने लगती है. यह प्रकर्ति का बैकग्राउंड म्यूजिक सीरीज के सस्पेंस और थ्रिलर के साथ खूब ताल-मेल खाता है.
यह तो एक छोटा सा क्राफ्ट है जो मुझे कुछ अलग लगा इस शो में. बाकी कई दर्शय है जिनमे गजब का क्राफ्ट देखने को मिलेगा. और दोस्तों आपको बता दूं की SUDIP SHARMA यह नाम याद रख लो. इसका लिखा कुछ भी अगर सिनेमा में उपलब्ध है तो देख डालो. क्योकि ये भारतीय सिनेमा के वो क्रिएटर और राइटर है जो अपनी कहानी को इस कदर लिखते है की वास्तविकता और कल्पना रूपी दूनिया का संगम खूब दर्शनीय लगता है. उड़ता पंजाब, नेट्फ्लिक्स सीरीज कोहरा ( जो अपने आप में एक तगड़ा मास्टरपीस क्राफ्ट है ), सुशांत सिंह राजपूत की फिल्म ” सोंचिरिया “, और अनुष्का शर्मा की NH10 जैसी फिल्में इन्होने लिखी है और इनमे अपनी क्रिएटिविटी डाली है.
तो इस बार भी सुदीप शर्मा ने अपने लेखन और क्रिएटिविटी का बेहतरीन उदहारण पेश किया है. जैसी उनसे उम्मीद थी ठीक वैसी ही.
पाताललोक सीजन 2 समझदार शो
मैं इस सीजन को समझदार शो इसलिए कह रहा हूँ क्योकि इसकी कहानी जिस तरह धीरे धीरे आगे बढती है, बिना किसी दबाव के. उससे यही साबित होता है की इसके क्रिएटर्स ने कितनी मेहनत की होगी की उन पर सीजन 1 से ज्यादा दमदार और क्रिस्प बनाने का बोझ होने के बावजूद उन्होंने इसे इसके इंडिविजुअल ( Individual ) सेंस में बनाया. क्रिएटर्स ने किसी प्रकार का मोह नहीं रखा इसके पहले सीजन का. पहला सीजन खत्म हो चुका है. उसकी कहानी के पुराने केस खत्म हो चुके है. पाताललोक सीजन 2 की कहानी वहीँ से आगे बढती है जहाँ इसका पहला सीजन खत्म हुआ था.
हाथीराम चौधरी ने ड्यूटी दुबारा से ज्वाइन कर ली है. अब वो पहले से ज्यादा संवेदनशील प्राणी हो चुका है. उसने पाताललोक कहे जाने वाले उस समाज को जान लिया है जिसे शायद बहुत से लोग नजरंदाज कर देते है. और यही कारण रहता है की इस सीजन में जब एक गरीब महिला उसके पति की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाने आती है तो हाथीराम उसे ढूढने का प्रयास करने लगता है. और इसी ढूढने की प्रक्रिया में गुमशुदा व्यक्ति का नागालैंड की जिओपॉलिटिक्स ( Geopolicitcal )और इंटरनल पॉलिटिक्स ( Internal Politics ) से सम्बन्ध का पता चलता है. जिसमे नागालेंड के प्रशासनिक की हाल ही में हत्या हुई है. और जिससे सम्बंधित केस को आईपीएस इमरान अंसारी संभाल रहे है.
तो किस तरह हाथीराम चौधरी और इमरान अंसारी के केस आपस में मेल खाते है. कैसे दोनों नागालैंड के अनसुलझे पहलुओं को खोजते है.और इस बीच क्या-क्या काण्ड होते है यही पाताललोक सीजन 2 सार है.जिसे क्रिएटर्स ने नार्थ ईस्ट के नागालैंड की समस्या और वहां सालो से चले आ रहे कांफ्लिक्ट्स ( Conflicts ) के माध्यम से बहुत ही समझदार तरीके से दिखाया है. ना फालतू का खून खराबा, ना फालतू की गालियाँ, ना फालतू की ऐसे तथ्य डाले गए है जो इसे हिंसक बनाये. यह सीजन सिर्फ अपनी कहानी, इसके किरदारों की तगड़ी एक्टिंग और इसके जानदार क्राफ्ट की वजह सी चलता है.
पाताललोक सीजन 2 इमानदार शो.
पाताललोक सीजन 2 के क्रिएटर्स चाहते तो इसकी कहानी यूपी या बिहार जैसे किसी ऐसे राज्य में लेके जा सकते थे, जिन पर हमने कई सीरीज, फिल्में देखी है जिनमे खूब सारा खून खराबा, मारकाट, गाली-गलोच भरी होती है. इसके क्रिएटर्स भी कुछ ऐसा कर सकते थे. क्योकि उन पर इसके पहले सीजन की सफलता का बोझ तो होगा ही. मगर फिर भी उन्होंने बिना किसी दबाव के इस सीजन में नागालेंड जैसे अनकहे, या बहुत कम जिक्र किये गए राज्य के परिवेश को दिखाया है. और सीजन 2 देखकर लगता है की यह क्रिएटर्स की इमानदार कोशिश थी. जिसमे वो पूरी तरह सफल हुए है.
सफल इसलिए क्योकि इसकी कहानी जितनी दमदार है, उतनी ही किरदारों की एक्टिंग, इसकी एडिटिंग, इसका बैकग्राउंड म्यूजिक और कई सारे दर्शय बन पड़े है. भले ही यह सीजन पहले वाले की तरह स्क्रीनप्ले में क्रिस्प और मजबूत नहीं हो, मगर यह शो अपने आप में एक काबिले तारीफ शो है. जो यह धीरे धीरे आगे बढ़ता है. और धीरे धीरे रहस्यों से पर्दा उठाता है. कहानी कोई जल्दी नहीं करती इसके अंत तक पहुचने की. और यही इमानदार क्रिएटर्स की खासियत है. जो हमें बिलकुल नया अनुभव कराते है. और साथ ही हमें नए परिवेश से रूबरू करवाते है.
ख़ास बात यह है की इस सीजन में बहुत सारे संवाद नागालैंड की भाषा में है, और कई सारे अंग्रेजी में. साथ ही इसमें एक्टिंग कर रहे है कई सारे एक्टर्स नागालैंड के ऐसे लोग है जिन्होंने पहले कभी एक्टिंग तक नही की. मगर जब इमानदार कोशिशे साथ आती है तो पूरा एक कारवाँ बनाता जाता है. जो की एक ऐसा परिणाम दे जाता है जिसे देखकर हमें प्योर दिव्य का अनुभव होता है. जैसा मुझे हुआ पाताललोक सीजन 2 देखकर.
पाताललोक सीजन 2 हिंदी समीक्षा – ekarwaan
तो दोस्तों सच बताऊँ तो चाहता तो मैं भी यही था की यह सीजन 1 से ज्यादा दमदार हो या उस लेवल का हो. मगर अगर मैं अपनी उम्मीदे थोड़ी कम करू या इस शो को अलग से देखूं तो यह पाताललोक सीजन 2 अपने आप में एक दमदार शो है. जिसमे जयदीप अहलावत की इतनी मजबूत एक्टिंग देखने को मिलती है की आपको लगता है की इस हाथीराम चौधरी के किरदार को कोई और अन्य एक्टर इतने विशवसनीय तरीके से निभा ही नहीं सकता.
जिसमे हमें भारत के ही एक ऐसे राज्य के बारे में जानने को मिलता है जिसे शायद हमने अलग थलग कर दिया है. नागालेंड के लोगो की दुनिया, वहाँ सालो से चले आ रहे कांफ्लिक्ट्स को हम इसमें बहुत ही संवेदनशील तरीके से देखते है.
जिसमे हम बेहतरीन लेखन, एडिटिंग और बैकग्राउंड म्यूजिक का मेल देखते है. अगर सिनेमेटोग्राफी थोड़ी और मजबूत होती तो बात शायद और ज्यादा प्रभावी होती. क्योकि हम उत्तर भारत के लोगो ने कुछ ज्यादा जाना नही है नागालेंड और ऐसे ही नार्थ-ईस्ट राज्यों के बारे में.
बाकी सुदीप शर्मा से जैसी उम्मीद थी. वैसा ही पाताललोक सीजन 2 उन्होंने बनाकर दिया है. एक मजबूत और इमानदार शो.