shaitaan movie review 2024 : आज के दौर में हमने इतना विकास कर लिया है की ये भूत पिसाच, जादू टोने, टोटके जैसी चीजों पर विशवास किया जाना मुश्किल है. मगर फिल्म के निर्देशक विकास बहल के द्वारा एक ऐसी फिल्म बनाना जो वशीकरण जैसे काले जादू पर आधारित हो, एक साहसिक कदम देखा जाना चाहिए. इस तरह अजय देवगन का इस फिल्म को प्रोडूस करना और एक बार फिर पिता का किरदार निभाना, खासकर इस बार उनके निभाये पिछले पिता के किरदारों में सबसे कमजोर पिता के किरदार को निभाना अजय देवगन के लिए साहसिक कदम माना जाना चाहिए. उसी तरह आर. माधवन का एक सनकी इन्सान का किरदार निभाना, जबकि बॉलीवुड में आशुतोष राणा और नवाज़ुद्दीन सिदिकी पहले से ही इस तरह के सनकी पागल किरदारों को बड़े ही बेहतरीन तरीके से निभा चुके है, एक साहसिक कदम माना जाना चाहिए.
तो क्या अजय देवगन, आरं माधवन की फिल्म ” शैतान ” एक देखने लायक फिल्म है ?
क्या इस फिल्म को सिनेमा हाल में ही देखा जाना चाहिए या ओटीटी पर आने का इंतेजार करना चाहिए ?
आइये जानते है शैतान ( 2024 ) फिल्म समीक्षा में .
Shaitaan Movie Review ( 2024 )
Cast : Ajay Devgn, R.Madhavan, Jyotika, Janki Bodiwala, Anngad Raaj
Director : Vikas Bahl
Film Rating : 3.5/5
shaitaan movie review 2024
मोटा माटी कहानी
कबीर एक प्रोफेशनल चार्टेड अकाउंटेंट है. उनकी पत्नी ज्योति एक हाउस वाइफ है. उनके दो बच्चे है. बड़ी बेटी जहान्वी कॉलेज में पढ़ती है. छोटा बेटा ध्रुव स्कूल में पढता है. यह छोटा सा परिवार अपनी ज़िन्दगी ख़ुशी ख़ुशी जी रहे होते है. फिर एक रात इनके फार्म हाउस पर आता है वनराज कश्यप. जो मोबाइल चार्ज लगाने की रेकुएस्ट लेकर घर में घुसता है और जहान्वी को काले जादू के माध्यम से वश में करके उसे अपने साथ ले जाकर ही घर से बाहर निकलता है.
वनराज जहान्वी को वश में करकर उसे जो कहता है वो उसकी बात मानने लगती है. जैसे खुद को थप्पड़ मारने से लेकर, अपने छोटे भाई को जान से मारने तक. वनराज जहान्वी को अपने साथ ले जाना चाहता है और कबीर – ज्योति अपनी बेटी को उसे ले जाने से रोकने की पूरी कोशिस करते है.
मोटा मोटी यह शैतान फिल्म कहानी है. देखा जाए तो यह कहानी एक रात की कहानी है. जो की अधिकतर समय एक घर में घटती है. मगर फिर भी पठकथा में कसावट ऐसी है की आपको कहीं कहीं अपनी सीट से उछलने पर मजबूर कर देगी.
जितना वनराज क्रिपी , उतना शांत कबीर का किरदार
कई दर्शय आपको परेशान करते है. कभी आर. माधवन की जानदार क्रीपी एक्टिंग से, कभी जहान्वी को पड़ताडित होते देखकर, कभी कबीर ( अजय देवगन ) को असहाय होते हुए देखकर इस प्रकार के दर्शय आपको परेशान करते है. कभी बेहतरीन साउंड डिजाईन, कभी बढ़िया सिनेमेटोग्राफी के माध्यम से, आपको क्रिएटर्स के द्वारा कहानी में घटित होती घटनाओं के द्वारा परेशान किया जाता है. और आप परेशान होते हो. और इसमें क्रिएटर्स की जीत होती है.
अजय देवगन ने दर्श्यम और भोला जैसी फिल्मों में पहले भी एक पिता का किरदार निभाया है. जो अपने परिवार, अपने बीवी बच्चो के लिए कुछ भी कर सकता है. अजय देवगन के पिछले निभाये पिता के किरदार और उनकी हाल ही में रिलीज़ हुई शैतान ( 2023 ) में निभाये पिता के किरदार में अंतर यह है की उन फिल्मों में अजय देवगन पिता के रूप में ज्यदा अग्रेसिव दिखे थे. या उन किरदारों में अक्सर कहानी पिता के पक्ष में रही थी. मगर शैतान फिल्म में अजय देवगन का किरदार फिल्म के नेगेटिव किरदार के सामने कई बार कमजोर पड़ता हुआ दिखाई देता है.
इस कारण अजय देवगन का किरदार कभी भी ओवर द टॉप नहीं जाता. वो किरदार जिस बेस पर बना था. पूरी फिल्म में उसी तरह रहता है. इसी कारण से अजय देवगन द्वारा इस किरदार को चुनना और एक्टिंग करना तारीफ के लायक है.
वहीँ दूसरी ओर आर. माधवन का किरदार सहज होता है. कभी शांति से बात करता है, कभी अजीब तरीके से व्यवहार करता है, कभी गुस्सा होता है, कभी क्रीपी तरीके से हस्ता है. यह किरदार आपको इससे नफरत करने पर मजबूर कर देता है. आर. माधवन की शानदार एक्टिंग ने इस किरदार को और भी ज्यादा क्रीपी और डरावना बना दिया है. जिसे देखकर आपको घिन्न आती है, कभी डर लगता है.
वहीँ जहान्वी जो की वनराज के वश में होती है. उससे वनराज अजीब अजीब काम करवाता है. कभी उसे खुद को थप्पड़ मारने को कहता है, कभी अपने भाई को मारने को कहता है, कभी चाय पत्ती खाने को कहता है तो कभी तब तक हसने को कहता है जब तक की वो हस हसकर मर नही जाए.
इस सारी एक्टिविटीज को करते हुए जहान्वी का किरदार कहीं भी ओवर एक्टिंग नहीं करता है. कहीं भी आपको ऐसा नहीं लगता है की यह थोडा ज्यादा हो रहा है. या जानकी बोदिवाला की एक्टिंग सही नहीं हो रही. इस किरदार को जानकी बोदिवाला ने बड़े ही अच्छे तरीके से निभाया है.
वैसे शैतान 2023 में आई गुजराती फिल्म ” वश ” का हिंदी रीमेक है. वश में भी जानकी ने यही किरदार निभाया था.
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ज्यादा अच्छाईयां, कम बुराइयां
कई बेहतरीन दर्शय इस फिल्म को एक सफल थ्रिलर बनाने में सफल हुए है. अच्छी सिनेमेटोग्राफी और साउंड की सहायता से फिल्म को डरवाना और थ्रिलर बनाया गया है. जिसमे क्रिएटर्स से सफल रहे है. मगर ऐसा नहीं है की फिल्म पूरी तरह से परफेक्ट है. इसमें कुछ कमियाँ भी है.
जैसे इस फिल्म को देखते समय आपको कई विचार आते है की यह किरदार ऐसा क्यों नहीं कर सकता, वैसा क्यों नहीं कर सकता. जबकि जो उसे शुरुआत में ही कर देना चाहिए था वो क्लाइमेक्स में होता है. इसी तरह आर. माधवन के किरदार की बेक स्टोरी नहीं दिखाई गयी की आखिर वनराज कहाँ से आया है. वो ऐसा क्यों कर रहा है. सिर्फ खुद को भगवान बनाना और लडकियों को वश में करना अपने आप में पूरी तरह का कोई मोटिव नही लगता. और शायद मेरे हिसाब से यह इस फिल्म की सबसे बड़ी कमी है. क्योकि फिल्म के सबसे मजबूत किरदार की कहानी नहीं बताने से उसके द्वारा किये गए सारे घिनोने काम कहीं कहीं फीके लगने लगते है.
इसी तरह वनराज का किरदार जब तक नार्मल डायलॉग में बात करता है अच्छा लगता है. मगर जब वो कुछ बड़े बड़े संवादों के माध्यम से खुद को महान बताने की कोशिस करता है तो इस किरदार और डायलॉगस का असर कम प्रभावी लगता है. ऐसा लगता है की लेखक ने ये डायलॉग लिखे है तो इस किरदार को ये डायलॉग बोलना ही है. बाकी वो ये डायलॉग नहीं भी बोलता तो कहानी में कोई फरक नहीं पड़ता.
और यार शैतान फिल्म में कुछ गाने है जो की बहुत कमजोर है. मगर शैतान का टाइटल जो बहुत ही ज्यादा बुरा है. बेवजह के इस गाने से फिल्म का डरावना पन कम लगने लगता है.
एक सुझाव यह भी है की क्या होता अगर इस फिल्म को अनुराग कश्यप जैसा निर्देशक बनाता. क्योकि इस फिल्म में वनराज का किरदार जहान्वी से कई काम करवाता है. मगर इसे और भी ज्यादा क्रीपी और घिनोना बनाया जा सकता था. भले ही तब यह फिल्म सबके देखने के लायक नहीं होती मगर शायद और बेहतर फिल्म होती. क्योकि अगर हॉलीवुड की मशहूर फिल्म ” साइलेंस ऑफ़ द लेम्ब ” को भी एक एडल्ट फिल्म ना बनाकर सबके देखने लायक फिल्म बनाया जाता तो उसके किरदार, उसकी कहानी उतनी वीभत्स नहीं लगती.
क्योकि एक काला जादू और वशीकरण अपने आप में वीभत्स क्रिया है. और इसके द्वारा क्रिएटर्स कुछ लिमिट्स के पार जाते हुए शैतान फिल्म को और भी ज्यादा शैतानी बना सकते है.
ओवरआल रिव्यु – Shaitaan ( 2024 )
खेर शैतान फिल्म एक अच्छी फिल्म है. छोटी मोटी कमियाँ जरुर है. मगर इस वीकेंड परिवार के साथ एक थ्रिलर राइड एन्जॉय करने के लिए यह फिल्म एक अच्छा आप्शन है. यह फिल्म शायद आपको उस बात की याद भी दिलाएगी की किसी के भी द्वारा कुछ भी खाने को दिया जाए नहीं खाना चाहिए.