The Railway Men Review : 1984 भोपाल गेस त्रासदी में शामिल जाबाज हीरोस के साहस की कहानी बताती नेट्फ्लिक्स की शानदार सीरीज.

The Railway Men नेट्फ्लिक्स की एक नई सीरीज है जो एक अनकहीं कहानी बताती है भोपाल गैस त्रासदी 1984 की. साथ ही यह सीरीज सिख दंगो, जातिवाद और इंसानियत पर भी बात करती है.

इस साल नेट्फ्लिक्स उपहार सिनेमा 1997 की त्रासदी पर The Trail by Fire जैसी बेहतरीन सीरीज ला चुका है. और अब नेट्फ्लिक्स ने द रेलवे मेन सीरीज के द्वारा भोपाल गैस त्रासदी में उस वक़्त भोपाल रेलवे जंक्शन पर मौजूद रेलवे कर्मचारियों के साहस की कहानी को बयां की है.

वेसे भी हम सब में से बहुत लोग ऐसे होंगे जो भोपाल गैस त्रासदी के बारे में जानते है. ऐसी भयानक गैस त्रासदी जिसमे हजारो लोगो की मौत हो गयी थी. और बाकी जो लोग उस जहरीली गैस की चपेट में आने के बाद भी जिन्दा बच गए. वो कई सालो तक इस गैस के प्रभाव के कारण परेशान रहे. कई लोगो ने अपनी आँखे खो दी. कई बच्चे जो उस गैस त्रासदी की चपेट में पैदा हुए उनमे किसी प्रकार की बीमारी या अक्षमता रही.

मगर शायद बहुत से लोग उस भोपाल रेल जंक्शन की कहानी नही जानते जो उस गैस की चपेट में आया. जहाँ मौजूद रेलवे कर्मचारियों ने बहुत से लोगो की जान बचाई. The Railway Men उसी रेलवे के नजरिये से इस गैस त्रासदी को बड़े ही अच्छे तरीके से दिखाती है.

तो दोस्तों आइये इस The Railway men Review में और ज्यादा खुलकर बात करते है की आखिर यह सीरीज अच्छी है तो कितनी अच्छी है. क्या चीज़े इसे एक बेहतरीन सीरीज बनाती है. आइये जानते है :

The Railway Men Review

जाबाज रेलवे मेन की जाबाज कहानी

The Railway Men सीरीज की कहानी लिखी है आयुष गुप्ता ने. साल 1984 की एक रात में भोपाल में एक केमिकल फैक्ट्री में गैस लीक हो जाती है. जिसकी चपेट मैं कई लोग आ जाते है. साथ ही उस फैक्ट्री के नजदीक उपस्थित भोपाल रेलवे जंक्शन को भी इस जेहरीली गैस द्वारा लपेट लिया जाता है. तो रेलवे कर्मचारियों के द्वारा वहां मौजूद लोगो को बचाने और भोपाल जंक्शन की ओर आती रेल को रोकने की कहानी बयान करती है द रेलवे मेन नेट्फ्लिक्स सीरीज.

आयुष गुप्ता की राइटिंग अच्छी है. कहानी में पकड़ बनी रहती है. एक त्रासदी को सिनेमा के रूप में भारतीय दर्शको के लिए किस तरह दिखाया जाना चाहिए वो बिलकुल अच्छे से समझते है आयुष गुप्ता. कहानी में इमोशन है, साहसी निर्णयों वाले दर्शय है.

तो देखा जाए तो द रेलवे मेन की कहानी के लिहाज से अच्छी है.

एक्टिंग में बेस्ट द रेलवे मेन

जैसा की मैंने ऊपर बताया की यह कहानी बताती है जाबांज रेलवे कर्मचारियों की. उन रेलवे कर्मचारियों में केके मेनन ने निभाया है इफ्तिकार सिद्दीकी का किरदार. जो भोपाल जंक्शन के स्टेशन मास्टर है. जो ईमानदार है. अपनी नौकरी सचाई से करते है. जो भोपाल गैस त्रासदी की रात को अपनी जान की बाजी लगाकर लोगो की जान बचाते है.

केके मेनन की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है. इस साल आई उनकी अमेज़न प्राइम की सीरीज Bambai Meri jaan में उन्होंने जानदार अभिनय से साबित कर दिया था की वो जैसे जैसे उम्र के पड़ाव चढ़ते जा रहे है. वैसे वैसे और भी ज्यादा एक्टिंग के मास्टर बन रहे है. एक बार फिर इस सीरीज से केके साहब ने साबित कर दिया की वो भारत के टॉप एक्टर्स की लिस्ट में जरुर होने चाहिए.

सीरीज में केके मेनन का लोगो की जान बचाने के नेक काम में साथ देते दिखाई दिए है हमारे प्यारे इरफ़ान खान के सुपुत्र बाबिल खान. उन्होंने सीरीज में इमाद रिआज़ का किरदार निभाया है. जो भोपाल जंक्शन पर लोको पायलट की नई नई नौकरी ज्वाइन करता है. इमाद युवा है. जाबाज है. जोश है उनमे और दिल के नेक है. बाबिल को यह किरदार निभाते हुए देखकर लगता है की यह व्यक्तित्व बाबिल का स्वयं का है.

बाबिल में काबलियत है एक्टिंग करने की. देखकर लगता है. मगर इस सीरीज में कुछ कमी सी दिखाई पड़ती है उनकी एक्टिंग में. शायद इसलिए की अभी वो नए नए है. पुराने होएंगे. सफलता विफलता के द्वन्द से लड़ेंगे तो धीरे धीरे निखरेंगे.

दिव्येंदु ने एक चोर की भूमिका निभाई है. जो भोपाल रेलवे जंक्शन पर करोड़ो रुपयों की चोरी करने आता है. मगर भोपाल जंक्शन के साथ साथ वो भी जेहरीली गैस लीक के जाल में फंस जाता है. उसके सामने पैसो की चोरी या लोगो की जान बचाने के निर्णय के बीच एक चुनना पड़ता है.

दिव्येंदु का यह किरदार उनके द्वारा पहले भी कई बार निभा चुके किरदारों जैसा है. एक छोटे शहर का लड़का. मुंहफट लड़का. जो चालाक है. गलियां बकता है. छोटे शहर के छोटे आवारा लड़के की छवि प्रस्तुत करते दिव्येंदु ने किरदार को उसी तरह से निभाया है. जैसा यह किरदार लिखा गया था.

आर. माधवन को रति पाण्डेय के किरदार को निभाते देखना अच्छा लगता है. उनकी एक्टिंग में हमेशा से ही एक ईमानदारी और विशवसनियता झलकती है.

इनके अलावा और भी कई सारे एक्टरस ने छोटे छोटे मगर मजबूत किरदार बड़ी ही मजबूती से निभाये है. जिनमे जूही चावला, सन्नी हिंदुजा, दिब्येंदु भट्टाचार्य और रघुबीर यादव प्रमुख है.

तो ओवरआल देखा जाए तो The Railway Men सीरीज के एक्टिंग डिपार्टमेंट ने खूब शानदार काम किया है.

अन्य तकनीकी पहलू

The Railway Men एक सीरियस सीरीज है. और इसका जानदार बैकग्राउंड म्यूजिक इसकी गंभीरता में इजाफा करता है. बेहतरीन बैकग्राउंड से दर्शय में चार चाँद लग जाता है. जिसके लिए सैम स्लाटर की तारीफ करनी होगी. बेहतरीन म्यूजिक देने के लिए.

वहीँ सीरीज में रुबैस की सिनेमेटोग्राफी भी अच्छी है. कुछ बेहतरीन दर्शय देखने को मिलते है. जो आपको अन्दर तक हिलाकर रख देते है.

शिव रवैल The Railway Men के निर्देशक है. जिन्होंने एक अच्छे निर्देशन का उदाहरन प्रस्तुत किया है. सीरीज में ड्रामा, इमोशन, एक्टिंग, थ्रिल का बेहतरीन मेल जोल रखा गया है.

चार एपिसोड की इस सीरीज में नजर हटाने का भी समय नही मिलता.

ओवरआल रिव्यु – The Railway Men

तो देखा जाए तो द रेलवे मेन एक अच्छी सीरीज है. जिसमे रोमांच है. इमोशन है. शानदार बैकग्राउंड म्यूजिक है. एक्टर्स ने बढ़िया एक्टिंग की है. मगर कहीं कहीं यह ज्यादा ड्रामेटिक हो जाती है. मगर फिर भी नेट्फ्लिक्स और YRF के द्वारा यह सीरीज लायी गयी है. जिसके लिए उनका शुक्रियाअदा करना पड़ेगा.

क्योकि मेरे समझ नही आता की इतनी बड़ी त्रासदी पर अब तक कोई बड़ी फिल्म नही बनी. इस वीकेंड आप इसे नेट्फ्लिक्स पर जरुर देखे. आप निराश नही होंगे. वरन इमोशन से भर जायेंगे.

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